अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किए जाने के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीते 16 वर्षों में कुल 18,822 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया। अवैध प्रवासन, वीज़ा उल्लंघन और दस्तावेजों की कमी जैसे कारण इन डिपोर्टेशन मामलों की प्रमुख वजह मानी जाती है। अमेरिकी एजेंसियां बीते वर्षों में गैर-कानूनी प्रवेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती रही हैं, जिसका सीधा असर भारतीय मूल के अवैध प्रवासियों पर भी पड़ा है।
रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2025 में भी यह क्रम जारी है। इस साल अब तक कई सौ भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा जा चुका है, जिनमें बड़ी संख्या उन लोगों की है जिन्होंने बिना वैध दस्तावेजों के सीमा पार करने की कोशिश की थी। हालांकि, 2025 के लिए अंतिम आंकड़े अभी संकलन की प्रक्रिया में हैं, लेकिन प्रारंभिक डेटा से साफ है कि डिपोर्टेशन का ट्रेंड धीमा नहीं पड़ा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में कड़ी इमिग्रेशन नीति, सीमा सुरक्षा पर बढ़ा फोकस और फर्जी दस्तावेजों के मामलों में त्वरित कार्रवाई इस बढ़ोतरी के प्रमुख कारण हैं। दूसरी ओर, भारत सरकार भी ऐसे मामलों पर नजर बनाए हुए है और लौटकर आने वाले नागरिकों को आवश्यक सहायता व मार्गदर्शन उपलब्ध करा रही है।
जानकारों के अनुसार, यह आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि अवैध तरीके से विदेश जाने का जोखिम लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में प्रवासन विशेषज्ञ लोगों को सलाह देते हैं कि वे यात्रा और नौकरी से जुड़े मामलों में केवल वैध और प्रमाणित रास्तों का ही इस्तेमाल करें, ताकि भविष्य में कानूनी समस्या न उत्पन्न हो।
कुल मिलाकर, पिछले डेढ़ दशक में अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किए जाने की संख्या चिंताजनक रूप से अधिक रही है। 2025 के शुरुआती महीनों के आंकड़े एक बार फिर बताते हैं कि यह मुद्दा अभी भी गंभीर है और दोनों देशों के बीच प्रवासन सुरक्षा को लेकर सहयोग और संवाद की आवश्यकता बनी हुई है।





