केंद्र सरकार ने प्रशासनिक ढांचे और सरकारी पहचान से जुड़े महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का नाम बदल दिया है। अब प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा। सरकार का कहना है कि यह नाम परिवर्तन देश में सरकार की कार्यशैली को ‘सेवा, समर्पण और जनकल्याण’ की भावना के साथ जोड़ने की दिशा में एक प्रतीकात्मक कदम है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय मंत्रिमंडलीय स्तर पर हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि ‘सेवा तीर्थ’ नाम इस विचार पर आधारित है कि प्रधानमंत्री कार्यालय केवल प्रशासनिक शक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि नागरिकों की सेवा का दायित्व निभाने वाला संस्थान है। नई पहचान के साथ सरकार चाहती है कि कार्यालय की भूमिका और सार्वजनिक छवि और अधिक जनोन्मुखी दिखाई दे।
इसी के साथ केंद्र ने देश के सभी राज्यों में मौजूद राजभवनों का नाम भी बदलने का निर्णय लिया है। अब राजभवनों को ‘लोकभवन’ के नाम से जाना जाएगा। यह परिवर्तन भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में ‘राजसी अवधारणा’ को कम करते हुए ‘जनसहभागिता और लोक-केन्द्रित शासन प्रणाली’ को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि ‘लोकभवन’ नाम राज्यों के संवैधानिक प्रमुखों की जनसेवा से जुड़ी भूमिका को बेहतर रूप से प्रतिबिंबित करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन नाम परिवर्तनों के पीछे सरकार की मंशा प्रशासनिक संस्थाओं की भाषा और पहचान को अधिक सरल, भारतीय और नागरिक-केन्द्रित बनाना है। यह कदम उन व्यापक प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है, जिनके तहत सरकार अंग्रेजी शासनकाल और राजशाही से जुड़े प्रतीकों को धीरे-धीरे बदलकर उन्हें भारतीय मूल्यों और लोकतांत्रिक भावना के अनुरूप रूप दे रही है।
आने वाले दिनों में केंद्र सरकार इन परिवर्तनों को आधिकारिक रूप से अधिसूचित करेगी और इसके बाद सभी सरकारी दस्तावेजों, लेटरहेड, साइनबोर्ड, वेबसाइट और संचार माध्यमों में नई पहचान का उपयोग शुरू कर दिया जाएगा।





