Friday, November 28, 2025

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कर्नाटक: नेतृत्व विवाद पर डी.के. शिवकुमार ने तोड़ी चुप्पी, कहा—‘कांग्रेस मेरे लिए मंदिर… जल्द दिल्ली जाऊंगा’

कर्नाटक की राजनीति इस समय नेतृत्व विवाद के कारण गर्म है। कांग्रेस सरकार बनने के समय से ही यह चर्चा रही है कि पांच साल के कार्यकाल को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ढाई-ढाई साल के लिए साझा करेंगे। हालांकि पार्टी ने कभी इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया, लेकिन शिवकुमार समर्थक विधायकों का एक बड़ा समूह इसे मौखिक समझौता मानता रहा है। अब सिद्धारमैया के ढाई साल पूरे होने पर पार्टी में अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है।

पिछले दिनों शिवकुमार गुट के कई विधायक दिल्ली पहुंचकर आलाकमान से मिले थे, जिसके बाद उन्हें सख्त निर्देश दिया गया कि वे नेतृत्व को लेकर सार्वजनिक बयानबाजी न करें। इसके बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है और सरकार सुचारू रूप से काम कर रही है। उस समय तक डी.के. शिवकुमार ने चुप्पी साध रखी थी, लेकिन अब उन्होंने इस विवाद पर पहली बार खुलकर बात की है।

डी.के. शिवकुमार बोले—कांग्रेस मेरा मंदिर, जो आदेश मिलेगा वही मानूंगा

नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों के बीच उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा कि वे जल्द दिल्ली जाएंगे और पार्टी हाईकमान के निर्देशों का पालन करेंगे। उन्होंने कहा, “कांग्रेस मेरे लिए मंदिर की तरह है। पार्टी का एक लंबा इतिहास है और दिल्ली हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती रही है। जब भी आलाकमान बुलाएगा, मैं और मुख्यमंत्री दोनों वहां मौजूद रहेंगे।”

शिवकुमार ने यह भी कहा कि वे किसी समुदाय की राजनीति नहीं करते और सभी वर्गों के लिए समान रूप से काम करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी पद की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि पार्टी जो फैसला करेगी, वही अंतिम होगा। हालांकि उन्होंने यह कहने से परहेज किया कि सिद्धारमैया पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे, जिससे राजनीतिक अटकलें और मजबूत हो गई हैं कि कांग्रेस के अंदर कहीं न कहीं हलचल जारी है।

ईश्वर खंड्रे का बयान—पार्टी अनुशासन सर्वोपरि

नेतृत्व विवाद के बीच मंत्री ईश्वर खंड्रे ने कहा कि हाईकमान ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी न की जाए। उन्होंने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है और आगे भी स्थिरता के साथ प्रशासन करेगी। खंड्रे ने दोहराया कि पार्टी अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

केएच मुनियप्पा की सलाह—खरगे और सोनिया गांधी करें हस्तक्षेप

मंत्री केएच मुनियप्पा ने सुझाव दिया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों को दिल्ली बुलाकर विषय को सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय पर समाधान से सरकार की स्थिरता और कार्यकुशलता बनी रहेगी। मुनियप्पा के अनुसार, दोनों नेताओं की संयुक्त बैठक से भ्रम की स्थिति खत्म होगी और सरकार के कामकाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

विवाद पर कांग्रेस का जवाब—भाजपा को नैतिक अधिकार नहीं

इसी बीच कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा को कर्नाटक के नेतृत्व विवाद पर सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में चुनी हुई सरकार मजबूती से काम कर रही है और जनता का पूरा भरोसा उसके साथ है। श्रीनेत ने दावा किया कि कांग्रेस अपना कार्यकाल पूरा करेगी और अगले चुनाव में फिर सरकार बनाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी अपने आंतरिक मुद्दों को स्वयं सुलझाने में सक्षम है और विपक्ष का शोर इसका कामकाज प्रभावित नहीं करेगा।

कर्नाटक में नेतृत्व को लेकर जारी यह खींचतान कांग्रेस के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है। हालांकि पार्टी लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि सब कुछ नियंत्रित है, लेकिन मौन संकेत कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।

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