देश में हवाई सुरक्षा को और मजबूती देने के उद्देश्य से सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घोषणा की है कि देश के 15 प्रमुख हवाई अड्डों पर अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। बढ़ती ड्रोन गतिविधियों और हवाई क्षेत्र में संभावित खतरों को देखते हुए यह पहल सुरक्षा व्यवस्था को नई दिशा देगी।
पिछले कुछ वर्षों में ड्रोन के दुरुपयोग से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। कई बार संवेदनशील इलाकों और हवाई अड्डों के आसपास ड्रोन देखे जाने की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क किया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तकनीकी रूप से उन्नत एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है, जो अनधिकृत ड्रोन की पहचान करने, उन्हें ट्रैक करने और आवश्यक होने पर निष्क्रिय करने की क्षमता रखते हैं।
एंटी-ड्रोन सिस्टम में कई स्तरों की तकनीक शामिल होगी। यह सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्शन, जामिंग टेक्नोलॉजी और कैमरा-आधारित निगरानी के जरिए संदिग्ध ड्रोन की पहचान करेगा। जैसे ही किसी ड्रोन की गतिविधि संदेहास्पद पाई जाएगी, सिस्टम अलर्ट जारी करेगा और उसे उड़ान क्षेत्र से दूर रखने के लिए जाम या न्यूट्रलाइज करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इससे रनवे, एयर ट्रैफिक और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
अधिकारियों का कहना है कि ये एंटी-ड्रोन सिस्टम हवाई अड्डों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित होंगे। खासकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे बड़े एयरपोर्ट पर बढ़ते यात्री भार और उड़ानों की संख्या को देखते हुए ड्रोन से संभावित खतरे को रोकने में यह तकनीक अहम भूमिका निभाएगी।
सरकार का मानना है कि नई तकनीक के आने से सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता बढ़ेगी और एयरपोर्ट के आसपास होने वाली किसी भी संदिग्ध उड़ान को तुरंत नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे न सिर्फ हवाई उड़ानें सुरक्षित होंगी, बल्कि यात्रियों का भरोसा भी मजबूत होगा।





