अधिकारियों ने दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने के मामलों में जांच को और तेज कर दिया है। अब केवल प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले लोग ही नहीं, बल्कि उन्हें तैयार करने वाले चिकित्सक भी इस जांच के दायरे में आए हैं।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कम से कम 51 लोगों को सरकारी नौकरियों में नियुक्त किया जा चुका है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि उन चिकित्सकों की भी विस्तृत जांच की जाए जिन्होंने ऐसे प्रमाणपत्र जारी किए।
जांच का उद्देश्य केवल दोषियों की पहचान करना ही नहीं है, बल्कि इस तरह की अनियमितताओं को भविष्य में रोकने के लिए कड़े कदम उठाना भी है। अधिकारियों ने कहा है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को कानून के तहत दंडित किया जाएगा।
इस मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार किसी भी प्रकार की छूट नहीं देगी और प्रशासन हर स्तर पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।





