बीलेम (ब्राजील)। संयुक्त राष्ट्र के COP30 जलवायु सम्मेलन के मुख्य क्षेत्र ‘ब्लू जोन’ में गुरुवार दोपहर अचानक आग लगने से हड़कंप मच गया। यह घटना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है, बल्कि उस मंच की विश्वसनीयता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर देती है, जिसे जलवायु सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय संवाद का केंद्र माना जाता है।
हादसा और राहत-कार्य
- स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग 2 बजे आग की शुरुआत हुई। प्रारंभिक जांच में संभावना जताई गई है कि यह इलेक्ट्रिकल उपकरण, विशेष रूप से माइक्रोवेव से उत्पन्न शॉर्ट-सर्किट के कारण लगी।
- आग ने ‘ब्लू जोन’ के पवेलियन की दीवारों और छत के अंदर लगे फैब्रिक हिस्सों को पकड़ लिया, जिससे काले घने धुएँ की गर्जना उठी। सुरक्षा कैमरों में देखा गया कि आग फैलने के बाद उपस्थित लोग चिल्लाते हुए और धुंआ देखने के बाद घबराहट में तुरंत बाहर भागे।
- स्थिति को देखते हुए, तुरंत फ़ायर ब्रिगेड की टीम ने सक्रिय होकर 6 मिनट के भीतर आग पर नियंत्रण हासिल किया।
घायलों की स्थिति
- कुल 21 लोग घायल हुए हैं: इनमें से 19 लोगों को धुएँ की वजह से साँस लेने में परेशानी हुई, जबकि दो अन्य लोगों में घबराहट (panic) की शिकायत दर्ज की गई।
- घायलों को प्राथमिक चिकित्सा दी गई है और उनका इलाज स्थानीय अस्पतालों में जारी है।
- उत्सुक बात यह है कि आग की तीव्रता के बावजूद जले हुए घावों या गंभीर जलने की सूचना नहीं मिली है, जिससे यह संकेत मिलता है कि प्राथमिक हानि अधिकतर धुआँ-सम्बंधित है।
सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
- इस घटना से यह प्रश्न उठता है कि क्या जलवायु संरक्षण और सुरक्षा पर केंद्रित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी उचित सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया?
- प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, पवेलियन की संरचना में नाजुक फैब्रिक या अस्थायी निर्माण सामग्री का प्रयोग हुआ था, जो आग फैलने की स्थिति में जोखिम को बढ़ाता है।
- साथ ही, इलेक्ट्रिकल उपकरणों की सुरक्षा जांच, आपातकालीन निकासी मार्गों की उपलब्धता और उनकी सजगता पर भी शंका पैदा हो गई है।
राजनीतिक और लॉजिस्टिक असर
- सम्मेलन स्थल पर लगी आग ने COP30 वार्ताओं को अस्थायी रूप से बाधित कर दिया है। हजारों प्रतिनिधियों, अधिकारियों, पत्रकारों और कर्मचारियों को तुरंत सुरक्षित बाहर निकाला गया।
- यह घटना इस साल के सबसे महत्वपूर्ण जलवायु वार्तालाप की गम्भीरता पर एक लाल झंडी की तरह है — खासकर तब, जब देशों को ऊर्जा संक्रमण, नवीकरणीय ऊर्जा और क्लाइमेट वित्त पर स्थायी समझौते बनाने की जरूरत है।
- आग की घटना के बाद, सम्मेलन आयोजकों और होस्ट देश ब्राजील पर सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और आपातकालीन व्यवस्था को मजबूत करने का दबाव बढ़ गया है।




