नई दिल्ली / भोपाल। कांग्रेस ने शुक्रवार को भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसकी नीति सिर्फ राजनीतिक पिछड़ापन नहीं, बल्कि एक “सिस्टमैटिक प्लान” है, जिसके जरिए वह आरक्षण को समाप्त करने और पूरे देश में आदिवासी समुदाय को न्याय और पहचान से वंचित करके संकट की स्थिति में धकेलना चाहती है। पार्टी ने मध्य प्रदेश के 2022 सिविल जज परीक्षा के परिणामों में आदिवासी उम्मीदवारों की एक भी नियुक्ति न किए जाने की नाजुक स्थिति का उदाहरण देते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
कांग्रेस के आदिवासी मामलों के राष्ट्रीय चेयरमैन विक्रांत भूरिया ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार न केवल आदिवासियों की जमीन की जब्ती कर रही है, बल्कि उन्हें “माइग्रेंट” की तरह तवज्जो देने की बजाय एक संकटग्रस्त समुदाय के रूप में प्रस्तुत कर रही है। भूरिया ने कहा, “सरकार उनकी जड़ों और पहचान को खत्म करने का काम कर रही है, ताकि जमीनें छीनकर उन्हें न्याय से दूर रखा जा सके।”
परीक्षा परिणाम पर सवाल
भूरिया ने विशेष रूप से मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा, 2022 का उदाहरण पेश किया, जिसमें आरक्षण के दायरे में आने के बावजूद एक भी आदिवासी (ST) उम्मीदवार सफल नहीं हुआ। उन्होंने दावा किया कि यह साधारण विसंगति नहीं है, बल्कि आरक्षण व्यवस्था के खात्मे की दिशा में संगठन द्वारा किए जा रहे व्यवस्था परिवर्तन का हिस्सा है। कांग्रेस ने परीक्षा रद्द करने और नए सिरे से आयोजित करने की मांग की है।
माइग्रेंट पॉलिसी की मांग
भूरिया ने यह भी प्रस्ताव रखा कि केंद्र व राज्य सरकारों को एक स्टैंडअलोन “माइग्रेंट पॉलिसी” तैयार करनी चाहिए, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समुदाय के लोगों की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक चुनौतियों को समुचित स्थान मिले। उनका कहना है कि वर्तमान व्यवस्था में आदिवासी को अपना स्वाभाविक अधिकार प्राप्त करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि सरकार उनकी समस्या को “माइग्रेशन” के रूप में प्रस्तुत कर उसे सामान्य कर चुकी है।
ग्रेट इंडियन ट्राइबल क्राइसिस
कांग्रेस ने कहा कि भाजपा शासन के दौरान पूरे देश में एक “ग्रेट इंडियन ट्राइबल क्राइसिस” बनता जा रहा है। पार्टी के अनुसार, आदिवासी अब सिर्फ जमीन खोने का जोखिम नहीं झेल रहे, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान, भाषा और जीवनशैली को भी खंडित किया जा रहा है। कांग्रेस ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसी स्थिति जारी रही, तो देश की एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक इकाई गहरी असुरक्षा और असंतोष की स्थिति में आ सकती है।
भूमि अधिग्रहण और न्याय की समस्या
भूरिया ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा सरकार के समय में आदिवासी समुदाय की जमीनें बड़े पैमाने पर अधिग्रहित की जा रही हैं। इसके जवाब में आदिवासियों को उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है, और न ही उन्हें कानूनी सहायता मिल पा रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए प्रत्यक्ष खतरे के रूप में पेश किया।
कांग्रेस की मांगें
- मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा-2022 के परिणामों की उच्च स्तरीय एवं निष्पक्ष जांच।
- यदि जांच में अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो परीक्षा को पूरी तरह रद्द कर पुनः आयोजित किया जाना चाहिए।
- एक राष्ट्रीय माइग्रेंट पॉलिसी तैयार की जाए, जो आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को समग्र रूप से संबोधित करे।
- आदिवासी जमीनों की जब्ती की पुनर्समीक्षा और प्रभावितों को न्यायपूर्ण मुआवजा दिलाया जाए।
- आरक्षण प्रणाली की रक्षा सुनिश्चित की जाए और इसे कमजोर करने वाले किसी भी कदम पर रोक लगाई जाए।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस का यह आरोप भाजपा के लिए नई राजनीतिक चुनौती खड़ी कर सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां आदिवासी समुदाय का जनसंख्या हिस्सा अधिक है। अब देखना होगा कि भाजपा इन आरोपों का प्रतिवाद कैसे करती है और क्या वह कांग्रेस की मांगों पर किसी कार्रवाई के पक्ष में है या नहीं।





