नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने घरेलू तटीय मार्गों पर संचालित भारतीय झंडाधारी जहाजों, ड्रेज़र, बार्ज और अनुसंधान जहाजों के लिए लागू दो दशक पुरानी आव्रजन प्रणाली को समाप्त कर दिया है। इस निर्णय से बंदरगाहों के बीच जहाजों की मूवमेंट काफी सुगम हो जाएगी। वर्षों से उठाई जा रही नाविकों की यह मांग अंततः गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर ली है।
अब तक इन जहाजों के क्रू को कोस्टल साइन-ऑन/साइन-ऑफ की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जो समय और कागजी औपचारिकताओं में उलझी रहती थी। इसके अलावा, जहाज से किनारे उतरने के लिए हर दस दिन में शोर लीव पास का नवीनीकरण कराना अनिवार्य था। नई व्यवस्था में दोनों प्रक्रियाएँ समाप्त कर दी गई हैं। अब पोर्ट अथॉरिटीज़ जहाजों की क्रू-सूची को अपडेट रखेंगे और क्रू को तटीय बंदरगाहों पर सुलभ व सरल एंट्री मिलेगी। हालांकि, इमिग्रेशन ब्यूरो समय-समय पर औचक जांच कर सकता है।
पोत, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनवाल ने इस फैसले को नाविकों के हित में एक बड़ी राहत बताया है और कहा है कि यह मोदी सरकार की समुद्री सेफरर्स को सशक्त बनाने की नीति के अनुरूप है। नौवहन क्षेत्र से जुड़े लोग भी मानते हैं कि इससे परिचालन क्षमता बढ़ेगी और अनावश्यक प्रक्रियाओं में लगने वाला समय एवं लागत दोनों कम होंगे।
नई व्यवस्था लागू करने में छोटे बंदरगाहों को डेटा प्रबंधन जैसी प्रारंभिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, निगरानी प्रणाली की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इमिग्रेशन ब्यूरो औचक निरीक्षण कितनी नियमितता से करता है। यह सुधार केवल तटीय मार्गों में संचालित जहाजों पर लागू होगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय जहाज पूर्व की व्यवस्था के तहत ही काम करेंगे।
सरकार का यह कदम समुद्री और बंदरगाह प्रशासन को आधुनिक एवं सरल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नई व्यवस्था से भारतीय जहाजों की तटीय आवाजाही में तेजी आएगी और घरेलू समुद्री परिवहन को बढ़ावा मिल सकेगा।





