नई दिल्ली। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के स्थापना दिवस से जुड़ी तिथियों में हाल के बदलाव का मुद्दा लगातार विवाद का रूप लेता जा रहा है। एलॉयंस फॉर जस्टिस एंड पीस समेत कई सेवारत और पूर्व सुरक्षा कर्मियों के समूहों ने सरकार से इस पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि वर्षों से मनाए जा रहे परंपरागत रेजिंग डे में संशोधन न केवल इतिहास के साथ छेड़छाड़ है, बल्कि इससे बलों की पहचान और मनोबल पर भी असर पड़ सकता है।
हाल ही में CRPF के रेजिंग डे की तिथि में बदलाव को लेकर सवाल खड़े हुए थे। अब इसी क्रम में BSF रेजिंग डे पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। एलॉयंस के प्रतिनिधियों का कहना है कि स्थापना दिवस किसी भी बल के इतिहास, उपलब्धियों और सम्मान की पहचान होता है। ऐसे में बिना विस्तृत परामर्श के इन तिथियों में परिवर्तन उचित नहीं है।
विरोध दर्ज कराने वाले संगठनों ने कहा कि जिस दिन किसी बल का गठन हुआ या उसने अपनी औपचारिक भूमिका शुरू की, उसी तिथि का ऐतिहासिक महत्व होता है। इसे बदलना न सिर्फ दस्तावेजित इतिहास पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों में भ्रम भी पैदा करता है।
एलॉयंस के सदस्यों ने मांग की है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट नीति और तर्क प्रस्तुत करे तथा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों, इतिहासकारों और संबंधित हितधारकों के साथ विस्तृत विमर्श किया जाए। उनका कहना है कि रेजिंग डे मनाने का उद्देश्य बलों की गौरवपूर्ण परंपरा को संजोना और जवानों के योगदान का सम्मान करना है, इसलिए हर निर्णय संवेदनशीलता से लिया जाना चाहिए।
इस बीच, सेवानिवृत्त अधिकारियों के एक वर्ग ने भी कहा कि यदि बदलाव अनिवार्य हो तो इसे आधिकारिक दस्तावेजों, गठन-तिथि के तथ्यों और ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर ही किया जाना चाहिए। उन्होंने चेताया कि लगातार विवाद उठना सुरक्षा बलों की छवि को प्रभावित कर सकता है।
केंद्रीय बलों से जुड़े संगठनों का कहना है कि वे जल्द ही सरकार को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें तिथियों को लेकर अपनी आपत्तियाँ और मांगें दर्ज कराएंगे।





