बेंगलुरु। महिलाओं के स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर समानता को बढ़ावा देने की दिशा में कर्नाटक सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि सभी महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन का ‘मासिक अवकाश’ (Menstrual Leave) अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। यह नियम राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्थानीय निकायों में तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
सरकार ने जारी किया आधिकारिक आदेश
कर्नाटक सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस संबंध में औपचारिक अधिसूचना जारी की है। आदेश में कहा गया है कि महिला कर्मचारी अपने मासिक धर्म (पीरियड) के दौरान हर माह एक दिन का विशेष अवकाश ले सकेंगी। यह अवकाश अलग से गिना जाएगा और इसे अर्जित या आकस्मिक अवकाश में नहीं जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस फैसले को महिलाओं के स्वास्थ्य, गरिमा और कार्यस्थल की उत्पादकता से जुड़ा संवेदनशील कदम बताया। उन्होंने कहा, “मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अतिरिक्त शारीरिक असुविधा होती है। सरकार चाहती है कि इस समय वे बिना किसी मानसिक दबाव के विश्राम कर सकें। यह निर्णय लैंगिक समानता और कार्यस्थल पर संवेदनशील माहौल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।”
राज्य सरकार ने सभी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, नगर निकायों और जिला प्रशासन को यह आदेश तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं। प्रत्येक विभाग को कर्मचारियों की उपस्थिति रजिस्टर में इस अवकाश के लिए अलग कॉलम जोड़ने को कहा गया है। साथ ही, किसी भी महिला कर्मचारी पर इस अवकाश के कारण प्रतिकूल टिप्पणी या अनुशासनात्मक कार्रवाई न करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि कुछ निजी कंपनियां पहले से ही अपने कर्मचारियों को मासिक अवकाश देती रही हैं, लेकिन कर्नाटक देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने इसे सरकारी स्तर पर अनिवार्य और नियमित नियम के रूप में लागू किया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस पहल को भविष्य में निजी क्षेत्र में भी लागू कराने पर विचार किया जाएगा।
महिला अधिकार संगठनों और कर्मचारी संघों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह पहल न केवल महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता दिखाती है, बल्कि कार्यस्थल पर जेंडर जस्टिस (लैंगिक न्याय) की दिशा में एक मिसाल कायम करती है।
रोजगार विशेषज्ञों का मानना है कि कर्नाटक का यह कदम अन्य राज्यों को भी प्रेरित करेगा। यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो भविष्य में केंद्र सरकार भी इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने पर विचार कर सकती है।





