Wednesday, November 12, 2025

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युद्ध में जीत ही अंतिम लक्ष्य, सांत्वना पुरस्कार जैसी कोई जगह नहीं होती: सीडीएस

नई दिल्ली। देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि किसी भी युद्ध या सैन्य अभियान में केवल जीत ही अंतिम लक्ष्य होती है, वहां सांत्वना पुरस्कार जैसी कोई जगह नहीं होती। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आधुनिक युद्ध केवल ताकत या तकनीक से नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति, अनुशासन और रणनीतिक दूरदर्शिता से जीते जाते हैं।
जनरल चौहान ने यह बात राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी) में आयोजित एक कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए हर संघर्ष एक “परीक्षा” की तरह होता है, जिसमें न केवल हथियारों की क्षमता बल्कि सैनिकों की मानसिक दृढ़ता और नेतृत्व की गुणवत्ता भी परखी जाती है।
सीडीएस ने कहा, “सेना का प्रत्येक अधिकारी और जवान इस भावना से प्रेरित होता है कि उसे किसी भी स्थिति में देश की रक्षा करनी है। युद्ध में केवल पहला स्थान होता है — दूसरा स्थान हार कहलाता है।” उन्होंने इस दौरान बलों को यह भी याद दिलाया कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में पारंपरिक युद्धों के साथ-साथ हाइब्रिड वारफेयर और साइबर चुनौतियां भी बड़ी चिंता का विषय बन चुकी हैं।
जनरल चौहान ने कहा कि भारत की सेनाएं लगातार आधुनिक तकनीक अपना रही हैं ताकि बदलते युद्ध स्वरूपों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके। उन्होंने तीनों सेनाओं के समन्वय पर बल देते हुए कहा कि संयुक्त सैन्य तैयारी ही भविष्य के युद्धों में निर्णायक सिद्ध होगी।
उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे हर स्थिति में “जीत की मानसिकता” बनाए रखें और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखें। सीडीएस ने कहा, “युद्धक्षेत्र में कोई विकल्प नहीं होता। या तो आप जीतते हैं, या फिर इतिहास का हिस्सा बन जाते हैं। हमें हमेशा विजेता बनने की तैयारी रखनी होगी।”
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल केवल शक्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि अनुशासन, बलिदान और राष्ट्रीय गर्व के संवाहक हैं। देशवासियों को उन पर गर्व है, और सेना का दायित्व है कि वह हर चुनौती का सामना उसी दृढ़ संकल्प के साथ करे जो स्वतंत्र भारत की सैन्य परंपरा की पहचान रही है।

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