वॉशिंगटन / केप टाउन।
वैश्विक राजनीति में एक नई कूटनीतिक हलचल तब मच गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक G20 सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। उनके इस फैसले से न केवल सहयोगी देशों में नाराजगी फैल गई, बल्कि अफ्रीकी नेताओं ने खुलकर विरोध जताते हुए कड़ा जवाब भी दिया है।
जानकारी के अनुसार, इस वर्ष का G20 सम्मेलन ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरो में आयोजित किया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने सम्मेलन से हटने का कारण बताते हुए कहा कि “यह मंच अब आर्थिक सहयोग की बजाय राजनीतिक एजेंडा चलाने का माध्यम बन गया है।” ट्रंप ने कहा कि अमेरिका “अपने हितों और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।”
उनके इस रुख से दुनिया के कई देशों में निराशा और असंतोष देखा जा रहा है। विशेष रूप से अफ्रीकी देशों के नेताओं ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि वैश्विक सहयोग के इस मंच से दूरी बनाना अमेरिका की जिम्मेदारी से पीछे हटने जैसा है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यदि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश सहयोग से मुंह मोड़ लेंगे, तो वैश्विक असंतुलन और बढ़ेगा। अमेरिका को इस मंच पर रहकर विकासशील देशों की आवाज सुननी चाहिए, न कि उनसे किनारा करना चाहिए।”
इसी तरह नाइजीरिया और केन्या के नेताओं ने भी कहा कि जलवायु परिवर्तन, व्यापार संतुलन और तकनीकी साझेदारी जैसे मुद्दों पर G20 का सहयोग अनिवार्य है, और इस तरह के कदम से वैश्विक एकता को आघात पहुंचेगा।
यूरोपीय संघ और जापान ने भी अमेरिका के इस फैसले पर खेद जताया है। यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि “दुनिया के सामने कई साझा संकट हैं, और ऐसे समय में अमेरिका का अलग राह पकड़ना बहुपक्षीयता की भावना को कमजोर करता है।”
व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन आने वाले महीनों में वैकल्पिक वैश्विक आर्थिक मंच बनाने पर विचार कर रहा है, जिसमें “उन देशों को शामिल किया जाएगा जो अमेरिकी मूल्यों और व्यापार नीतियों के साथ तालमेल रखते हैं।”
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का विस्तार है। हालांकि, यह निर्णय अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अकेला कर सकता है और वैश्विक आर्थिक नीतियों पर उसके प्रभाव को सीमित कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने भी इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की और कहा कि “दुनिया को इस समय संवाद और सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता है, न कि विभाजन की।”
ट्रंप के बहिष्कार ने G20 सम्मेलन की चर्चा को पूरी तरह बदल दिया है। अब दुनिया भर की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह फैसला वैश्विक आर्थिक सहयोग की दिशा में एक नए टकराव के दौर की शुरुआत करेगा, या अमेरिका आने वाले समय में किसी समझौते के तहत फिर से इस मंच पर लौटेगा।





