Thursday, November 13, 2025

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कृषि मंत्रालय में खुलेगा ‘मिलेट कैफे’, ओडिशा का ‘श्री अन्न मॉडल’ बनेगा पूरे देश के लिए उदाहरण देशभर में मोटे अनाज को बढ़ावा देने की तैयारी, किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को मिलेगा लाभ

नई दिल्ली।
भारत सरकार अब श्री अन्न’ यानी मोटे अनाज (मिलेट्स) को लेकर एक व्यापक राष्ट्रीय पहल शुरू करने जा रही है। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में जल्द ही एक मिलेट कैफे’ खोला जाएगा। यह कैफे न केवल मोटे अनाज से बने पौष्टिक व्यंजनों को प्रदर्शित करेगा, बल्कि लोगों को इनके स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूक भी करेगा।

कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस कैफे का उद्देश्य मिलेट्स को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘श्री अन्न को जन-जन तक पहुंचाने’ के संकल्प को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने ओडिशा के सफल ‘श्री अन्न मॉडल’ को पूरे देश में लागू करने की योजना तैयार की है।

क्या है ओडिशा का ‘श्री अन्न मॉडल’

ओडिशा सरकार ने राज्य में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों, स्वयं सहायता समूहों और स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को एक साथ जोड़ने की अनूठी पहल की थी। इस मॉडल के तहत छोटे और सीमांत किसानों को तकनीकी सहयोग, बीज वितरण और बाजार से सीधे जुड़ाव की सुविधा दी गई। साथ ही, राज्य के कई स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में मिलेट आधारित भोजन को शामिल किया गया।

अब केंद्र सरकार इसी मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने जा रही है। योजना के तहत सभी राज्यों में मिलेट मिशन केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो उत्पादन से लेकर विपणन तक किसानों की मदद करेंगे।

मिलेट कैफे की विशेषताएं

दिल्ली स्थित कृषि मंत्रालय में बनने वाला मिलेट कैफे’ देश का पहला सरकारी कैफे होगा, जहां ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी और सांवा जैसे मोटे अनाजों से बने खाद्य पदार्थ उपलब्ध होंगे। यहां मिलेट डोसा, मिलेट उपमा, बाजरा पराठा, रागी कुकीज और मिलेट खिचड़ी जैसे व्यंजन पेश किए जाएंगे।

अधिकारियों के मुताबिक, यह कैफे न केवल एक डाइटरी प्रमोशन सेंटर होगा, बल्कि किसानों, शेफ और पोषण विशेषज्ञों के लिए एक साझा मंच का काम करेगा। भविष्य में इसे अन्य मंत्रालयों और राज्यों के सचिवालयों में भी शुरू करने की योजना है।

क्यों जरूरी है मिलेट मिशन

मोटे अनाजों को सुपरफूड माना जाता है — इनमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही, ये कम पानी में और कठिन परिस्थितियों में भी उगाए जा सकते हैं, जिससे ये जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती का बेहतर विकल्प बनते हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मिलेट उत्पादक देश है, लेकिन घरेलू उपभोग सीमित होने के कारण किसान अक्सर उचित मूल्य नहीं पा पाते। सरकार की इस पहल से मिलेट उत्पादों की मांग बढ़ेगी, किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी और लोगों को स्वस्थ विकल्प भी मिलेगा।

कृषि मंत्रालय का कहना है कि आने वाले महीनों में मिलेट कैफे का उद्घाटन किया जाएगा, जो भारत के श्री अन्न आंदोलन’ का प्रतीक बनेगा। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक मिलेट्स को देश के हर घर की थाली तक पहुंचाया जाए।

 

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