पटना, 5 नवम्बर — बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक बड़ी राहत योजना के तहत राज्य की 1.30 करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी है। सरकार का दावा है कि यह राशि महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दी गई है, जबकि विपक्ष ने इसे “चुनावी घूस” करार देते हुए चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना’ के तहत पटना में आयोजित कार्यक्रम में डिजिटल माध्यम से लाभार्थी महिलाओं के खातों में राशि हस्तांतरित की। सरकार के अनुसार, इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब, विधवा और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार की महिलाएं राज्य के विकास की रीढ़ हैं और सरकार उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना समाज की प्रगति अधूरी है।
वहीं, विपक्ष ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राजद प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि यह कदम चुनाव से ठीक पहले वोट प्रभावित करने की कोशिश है और सरकार जनता के पैसे का राजनीतिक उपयोग कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने भी इसे “नैतिकता के खिलाफ कदम” बताया और चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराने की बात कही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना चुनावी समीकरणों पर बड़ा असर डाल सकती है। राज्य के कई जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है और 2010 से अब तक नीतीश कुमार का महिला मतदाताओं पर मजबूत पकड़ बनी रही है। ऐसे में विपक्ष के आरोपों के बावजूद इस योजना से जेडीयू को राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि विपक्ष इस मुद्दे को चुनाव प्रचार में जोरदार तरीके से उठाएगा, जिससे राज्य की सियासत में महिलाओं की भूमिका एक बार फिर निर्णायक बन सकती है।





