हैदराबाद। कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के तेलंगाना सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर अब सियासी विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अजहरुद्दीन की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। भाजपा का आरोप है कि अजहरुद्दीन मंत्री पद संभालने के पात्र नहीं हैं और उनकी नियुक्ति संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।
भाजपा ने अपनी शिकायत में कहा है कि अजहरुद्दीन वर्तमान में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद पर नियुक्त करना नियमों के खिलाफ है। पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगे और नियुक्ति को स्थगित किया जाए।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सरकार ने राजनीतिक दबाव में संविधान की अनदेखी की है। अजहरुद्दीन को मंत्री बनाए जाने की घोषणा तो कर दी गई, लेकिन वे न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के। यह साफ तौर पर संविधान के अनुच्छेद 164(4) का उल्लंघन है, जिसके तहत कोई भी गैर-विधायक व्यक्ति केवल छह महीने तक मंत्री पद संभाल सकता है, वह भी शपथ लेने के बाद।”
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने अजहरुद्दीन को मंत्री बनाकर “राजनीतिक लाभ” लेने की कोशिश की है। पार्टी ने कहा कि यह नियुक्ति न केवल कानूनी रूप से संदिग्ध है, बल्कि इससे सरकारी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है।
वहीं, कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अजहरुद्दीन की नियुक्ति पूरी तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत की जा रही है और शपथ ग्रहण से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। कांग्रेस ने भाजपा पर “राजनीतिक जलन” में अनावश्यक विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है।
सूत्रों के मुताबिक, अजहरुद्दीन को खेल और युवा मामलों का विभाग दिया जा सकता है। वे लंबे समय से तेलंगाना कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं और हालिया चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान में भी प्रमुख चेहरा रहे थे।
चुनाव आयोग ने अभी तक इस मामले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा तेजी से चर्चा का विषय बन गया है। भाजपा की शिकायत के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस संवैधानिक विवाद पर क्या रुख अपनाता है।





