वॉशिंगटन/सियोल। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक और रक्षा मोर्चे पर बड़ा समझौता हुआ है। दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए 350 अरब डॉलर का आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण कोरिया को परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी (Nuclear-powered Submarine) के विकास की मंजूरी भी दे दी है।
ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, यह समझौता दोनों देशों के बीच “आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने” की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
व्यापारिक मोर्चे पर बड़ी राहत
बीते महीनों में ट्रंप सरकार ने दक्षिण कोरिया समेत कई देशों पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का निर्णय लिया था, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया था। अब इस 350 अरब डॉलर के निवेश पैकेज के तहत, सियोल ने अमेरिका से आयातित औद्योगिक उत्पादों और कृषि वस्तुओं पर टैरिफ में भारी कटौती करने पर सहमति जताई है।
इसके बदले में अमेरिका दक्षिण कोरिया को अपने हाई-टेक और रक्षा उद्योगों तक अधिक पहुंच देगा। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह समझौता आने वाले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 600 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंचा सकता है।
रक्षा सहयोग में नई शुरुआत
आर्थिक समझौते के साथ-साथ ट्रंप ने दक्षिण कोरिया को परमाणु ऊर्जा आधारित पनडुब्बी विकसित करने की अनुमति भी दी है। अब तक यह तकनीक केवल कुछ चुनिंदा देशों — अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन — के पास थी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “दक्षिण कोरिया एक भरोसेमंद सहयोगी है। एशिया में सुरक्षा और स्थिरता के लिए उसे उन्नत रक्षा तकनीक की जरूरत है, और अमेरिका इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
इस परियोजना के तहत दक्षिण कोरिया अमेरिकी वैज्ञानिकों और नौसेना विशेषज्ञों के साथ मिलकर पहली स्वदेशी परमाणु चालित पनडुब्बी विकसित करेगा। अनुमान है कि यह परियोजना अगले आठ वर्षों में पूरी हो सकती है।
चीन और उत्तर कोरिया की निगाहें
इस समझौते पर चीन और उत्तर कोरिया दोनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजिंग ने इसे “क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम” बताया, जबकि प्योंगयांग ने चेतावनी दी कि यह कदम “नई हथियारों की दौड़” को जन्म देगा।
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता दक्षिण कोरिया के लिए “रणनीतिक स्वतंत्रता” की दिशा में बड़ा कदम है। वहीं, अमेरिका इसे चीन की बढ़ती नौसैनिक ताकत के जवाब में एक मजबूत क्षेत्रीय गठजोड़ के रूप में देख रहा है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, 350 अरब डॉलर के निवेश पैकेज से न केवल व्यापारिक विवादों में कमी आएगी, बल्कि दक्षिण कोरिया की मुद्रा “वॉन” को भी स्थिरता मिलेगी।
कुल मिलाकर, इस समझौते को अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक और सैन्य सहयोग के नए युग की शुरुआत माना जा रहा है — जो आने वाले वर्षों में एशिया-प्रशांत की राजनीति और शक्ति संतुलन को नया आकार दे सकता है।




