वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) को लेकर बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने अब यह स्वीकार कर लिया है कि जलवायु संकट के आकलन में वे गलत थे, और इसी बात ने उनके (ट्रंप के) विचारों को सही साबित कर दिया है। राष्ट्रपति ने यह बयान व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने जलवायु नीतियों पर अपने प्रशासन की प्राथमिकताओं को भी दोहराया।
ट्रंप ने कहा, “कई सालों तक मुझे क्लाइमेट एजेंडा के खिलाफ बोलने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी। लेकिन अब जब बिल गेट्स जैसे व्यक्ति कह रहे हैं कि कई भविष्यवाणियां गलत थीं, तो यह साफ है कि मेरा रुख व्यावहारिक था। हमने अमेरिका को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया और पर्यावरण की रक्षा भी सुनिश्चित की।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर फैलाई जा रही “अत्यधिक भय की मानसिकता” ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। ट्रंप ने कहा, “हमें वास्तविक तथ्यों और व्यवहारिक समाधानों पर ध्यान देना चाहिए, न कि डर फैलाने वाले अभियानों पर।”
राष्ट्रपति के इस बयान के बाद अमेरिकी मीडिया में बहस तेज हो गई है। कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जलवायु संकट वास्तविक है और उसके असर दुनिया के हर हिस्से में दिख रहे हैं — बढ़ते तापमान, ग्लेशियरों के पिघलने और चरम मौसम की घटनाओं के रूप में।
वहीं, ट्रंप समर्थकों ने कहा कि राष्ट्रपति ने जिस “संतुलित नीति” की बात की, वही अमेरिका को ऊर्जा और पर्यावरण दोनों मोर्चों पर मजबूत बनाएगी।
बिल गेट्स ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि जलवायु संकट से निपटने के लिए “व्यावहारिक तकनीकी नवाचारों और दीर्घकालिक नीतियों” की जरूरत है, न कि केवल प्रतिबंधों और घोषणाओं की। ट्रंप ने इसी बयान का हवाला देते हुए कहा कि “आखिरकार दुनिया यह समझने लगी है कि अतिवादी पर्यावरण नीतियां समाधान नहीं, बल्कि नई समस्याएं पैदा कर रही हैं।”
ट्रंप के इस बयान को 2028 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनके “ऊर्जा-प्रथम एजेंडा” के प्रचार का हिस्सा माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका “विज्ञान का सम्मान करेगा, लेकिन अपने नागरिकों की समृद्धि और सुरक्षा को प्राथमिकता देगा।”





