नई दिल्ली। देश में संक्रामक रोगों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में हर नौवां भारतीय किसी न किसी संक्रामक रोग से संक्रमित हुआ है। विशेषज्ञों ने इसे एक गंभीर चेतावनी माना है और कहा है कि यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में संक्रमण की स्थिति और भयावह हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टाइफाइड, श्वसन संक्रमण और क्षयरोग (टीबी) जैसे रोगों के मामले इस साल बीते वर्षों की तुलना में तेज़ी से बढ़े हैं। खास तौर पर शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण, स्वच्छता की कमी और अनियमित जीवनशैली इसके प्रमुख कारणों में गिने जा रहे हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के हालिया अध्ययन में भी यह खुलासा हुआ है कि संक्रमणजनित बीमारियों का दायरा अब केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महानगरों और अर्धशहरी क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहा है। कई शहरों में वायरल संक्रमण और बैक्टीरियल संक्रमण के मामलों में 20 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ने की मुख्य वजह स्वच्छता मानकों में गिरावट, बदलते मौसम चक्र, जलजमाव, और अस्वास्थ्यकर खानपान की आदतें हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार ने निगरानी तंत्र को और सशक्त बनाने, वैक्सीनेशन अभियान तेज करने और स्वास्थ्य सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अब जरूरी है कि संक्रमण के खिलाफ सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाई जाए। डॉक्टरों के अनुसार, हाथों की स्वच्छता, साफ पानी का उपयोग, समय पर टीकाकरण, और शुरुआती लक्षणों की अनदेखी न करना — संक्रमण को रोकने के सबसे प्रभावी उपाय हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने और रोकथाम के उपायों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में संक्रमणजनित बीमारियां देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ बन सकती हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें और किसी भी संक्रामक बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।





