Wednesday, October 22, 2025

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पंचतत्व में विलीन हुए आचार्य गुरुदत्त: गुरुकुल की बेटियों ने पढ़े वेदमंत्र

हरिद्वार।
संस्कार, वेदज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ने वाले आचार्य गुरुदत्त मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके निधन की खबर से पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम संस्कार के समय का दृश्य अत्यंत भावुक कर देने वाला था — गुरुकुल की बेटियों ने वेदमंत्रों का उच्चारण करते हुए अपने revered गुरु को अंतिम विदाई दी।
गुरुकुल परिसर से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों शिष्य, पूर्व विद्यार्थी, साधु-संत और स्थानीय नागरिक शामिल हुए। यात्रा के दौरान ‘ॐ शांति’ और ‘गुरुदेव अमर रहें’ के स्वर गूंजते रहे। पार्थिव शरीर को हरिद्वार स्थित श्मशान घाट ले जाया गया, जहां वैदिक रीति से उनका दाह संस्कार किया गया।

आचार्य गुरुदत्त ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा, संस्कार और वेद परंपरा के संरक्षण को समर्पित किया था। वे हरिद्वार स्थित एक प्रतिष्ठित गुरुकुल के प्रमुख आचार्य थे और उन्होंने हजारों छात्रों को न केवल वेदाध्ययन कराया, बल्कि जीवन-मूल्यों की शिक्षा भी दी। उनके सान्निध्य में गुरुकुल ने नारी शिक्षा को भी नई दिशा दी — यही कारण था कि उनकी शिष्या बालिकाओं ने ही वेदमंत्रों के साथ उन्हें विदाई दी।

गुरुकुल प्रबंधन समिति ने कहा कि आचार्य गुरुदत्त का जीवन सादगी, अनुशासन और अध्यात्म का उदाहरण था। वे शिक्षा को केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम मानते थे। उनकी शिक्षण शैली में आधुनिक दृष्टिकोण के साथ वैदिक परंपरा का संतुलित संगम दिखाई देता था।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “आचार्य गुरुदत्त ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को नई पहचान दी। उनका जाना शिक्षा जगत की अपूरणीय क्षति है।”

गुरुकुल की बेटियों ने अपने गुरु के सम्मान में कहा कि वे उन्हें उनके उपदेशों, अनुशासन और स्नेह के लिए हमेशा याद रखेंगी। आचार्य गुरुदत्त का नाम अब गुरुकुल की परंपरा और वेद शिक्षा के पुनर्जागरण के साथ सदा जुड़ा रहेगा — एक ऐसे शिक्षक के रूप में, जिन्होंने जीवन को तप, सेवा और संस्कार की साधना बना दिया।

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