Thursday, October 23, 2025

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर सहमत, कतर सरकार ने मध्यस्थता के बाद जारी किया बयान

दोहा / इस्लामाबाद / काबुल: कतर सरकार की मध्यस्थता के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने शनिवार को संघर्ष विराम (Ceasefire) पर सहमति जताई है। पिछले कई महीनों से सीमा क्षेत्रों में जारी तनाव और गोलीबारी की घटनाओं के बीच यह समझौता दोनों देशों के लिए राहत भरी खबर मानी जा रही है।

कतर के विदेश मंत्रालय ने शनिवार देर रात एक आधिकारिक बयान जारी कर पुष्टि की कि इस्लामाबाद और काबुल ने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने और तत्काल संघर्ष विराम लागू करने पर सहमति जताई है। मंत्रालय ने दोनों पक्षों से कहा है कि वे “संवाद और सहयोग की भावना” में आगे बढ़ें, ताकि सीमा पर स्थायी शांति स्थापित की जा सके।

पिछले कुछ महीनों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दुरंड रेखा (Durand Line) के पास तनाव लगातार बढ़ रहा था। पाकिस्तान का आरोप रहा है कि अफगान सीमा से आतंकी घुसपैठ और हमलों में वृद्धि हुई है, जबकि अफगान तालिबान प्रशासन ने पाकिस्तानी सेना पर सीमा पार तोपखाने और हवाई हमलों का आरोप लगाया था। इस हिंसा में दर्जनों नागरिकों और सैनिकों की मौत हुई थी।

कतर सरकार के अनुसार, दोहा में दोनों देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के बीच तीन दौर की गुप्त वार्ताएं हुईं, जिनमें सुरक्षा, सीमा नियंत्रण और व्यापारिक मार्गों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। कतर के उपविदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा, “हम इस समझौते का स्वागत करते हैं। यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।”

अफगान तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भी सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा, “हम शांति और सहयोग चाहते हैं। पाकिस्तान के साथ मतभेद बातचीत के जरिए सुलझाए जा सकते हैं।” वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस कदम को “सकारात्मक विकास” बताया और कहा कि इस्लामाबाद सीमा पार शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

विशेषज्ञों का कहना है कि संघर्ष विराम का यह समझौता क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है। दक्षिण एशियाई मामलों के विश्लेषक हसन अब्बास के मुताबिक, “कतर ने पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान से जुड़े विवादों में खुद को एक भरोसेमंद मध्यस्थ के रूप में स्थापित किया है। यह समझौता उसकी कूटनीतिक सफलता है।”

हालांकि कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। उनका कहना है कि इस संघर्ष विराम की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों देश आतंकवाद और सीमा उल्लंघन के मामलों को कितनी गंभीरता से रोकने के उपाय करते हैं।

कतर ने दोनों देशों को आने वाले हफ्तों में दोहा में ही एक संयुक्त सुरक्षा समिति की बैठक करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि समझौते की निगरानी और पालन सुनिश्चित किया जा सके।

 

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