पुणे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ देश की रक्षा क्षमता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल अपने सैनिकों की जरूरतें खुद पूरी कर रहा है, बल्कि रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निर्यातक देश के रूप में उभर रहा है। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने दशकों तक देश को विदेशी हथियारों पर निर्भर बनाए रखा, जबकि आज भारत स्वदेशी तकनीक से अपना भविष्य गढ़ रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर यह दिखाता है कि भारत अब किसी पर निर्भर नहीं है। यह अभियान हमारी तकनीकी क्षमता, रणनीतिक योजना और स्वदेशी रक्षा उद्योग की ताकत का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के तहत भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने संयुक्त रूप से कई महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धियां हासिल की हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा, “2014 से पहले भारत दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में था। आज हम 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं। यह बदलाव केवल नीतियों का नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का प्रतीक है।”
उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि “जो लोग दशकों तक सत्ता में रहे, उन्होंने रक्षा उत्पादन को कभी प्राथमिकता नहीं दी। हमने नीतियों में सुधार किया, निजी उद्योग को जोड़ा, और ‘मेक इन इंडिया’ को ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ में बदल दिया।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत केवल एक नारा नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा संकल्प है। उन्होंने बताया कि अब देश में 500 से अधिक रक्षा कंपनियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं और हजारों एमएसएमई रक्षा उत्पादन शृंखला से जुड़ चुके हैं।
कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने स्वदेशी हथियार प्रणालियों, मिसाइल तकनीक और नौसैनिक उपकरणों की प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत का लक्ष्य रक्षा निर्यात को ₹50,000 करोड़ तक पहुंचाना है।
उन्होंने कहा, “भारत अब न तो आयात-निर्भर राष्ट्र है और न ही किसी का अनुयायी। हम अपने सामर्थ्य से विश्व मंच पर सम्मान पा रहे हैं—यही आत्मनिर्भर भारत की असली पहचान है।”
कार्यक्रम में भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, डीआरडीओ के वैज्ञानिक और स्थानीय रक्षा उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।





