गांधीनगर। गुजरात की राजनीति में बुधवार को बड़ा फेरबदल देखने को मिला। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर राज्य मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों और संगठनात्मक संतुलन को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। सरकार के सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रिमंडल का गठन और शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को आयोजित किया जाएगा।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्यपाल से भेंट कर पूरे मंत्रिमंडल का सामूहिक इस्तीफा सौंपा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व ने केंद्र से लेकर राज्य तक संगठन और सरकार के तालमेल को मजबूत करने के उद्देश्य से यह बड़ा पुनर्गठन तय किया है।
नई कैबिनेट में युवा और नए चेहरों को मौका मिलने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति को देखते हुए सरकार में ऐसे विधायकों को शामिल किया जाएगा जो संगठन स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पर पूरा भरोसा जताते हुए उन्हें पद पर बनाए रखा गया है। संगठन की तरफ से साफ संकेत दिए गए हैं कि शासन की निरंतरता बनी रहेगी, लेकिन प्रशासनिक कार्यशैली में नई ऊर्जा और गति लाने के लिए चेहरों में बदलाव किया जा रहा है।
इस घटनाक्रम के बाद भाजपा दफ्तर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दिल्ली में पार्टी नेतृत्व और राज्य के वरिष्ठ नेताओं के बीच लगातार चर्चाएं चल रही हैं। नई टीम में किन चेहरों को शामिल किया जाएगा, इस पर अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान लेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पार्टी समय-समय पर नए चेहरों को आगे लाकर एंटी-इनकम्बेंसी को कम करने और शासन में नई स्फूर्ति लाने की कोशिश करती है।
गौरतलब है कि भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में पिछली बार भी 2021 में पूरी नई कैबिनेट बनाई गई थी। तब विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद भाजपा ने पूरे मंत्रिमंडल को बदलकर नया समीकरण तैयार किया था। इस बार भी पार्टी उसी फॉर्मूले को दोहराती दिख रही है।