Thursday, October 23, 2025

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अफगान लड़ाकों ने पाकिस्तान सेना को हराया, टैंक छीनकर बढ़ाई सीमा पर दहशत; शहबाज ने सऊदी और कतर से मांगी मदद

इस्लामाबाद/काबुल।
पाकिस्तान में हाल ही में अफगानिस्तान से आए लड़ाकों की सक्रियता ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भारी दबाव डाल दिया है। अफगान लड़ाकों ने सीमा के कुछ क्षेत्रों में घुसकर पाकिस्तान सेना से टैंक और अन्य हथियार छीनने की घटनाएं अंजाम दी हैं, जिससे स्थानीय सुरक्षा बलों में उथल-पुथल और दहशत फैल गई है।

सूत्रों के अनुसार, अफगान लड़ाके सीमा पार से पाकिस्तानी चौकियों और सेना के ठिकानों पर हमला कर रहे हैं। इन हमलों में उन्होंने कई टैंकों और भारी हथियारों पर कब्जा कर लिया। सीमा पर पाकिस्तान सेना को अप्रत्याशित नुकसान उठाना पड़ा और सुरक्षा की स्थिति संकटपूर्ण हो गई।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने घटनाओं के बाद सऊदी अरब और कतर से सैन्य और आर्थिक मदद मांगी है। सरकार का कहना है कि पाकिस्तान अपनी सीमाओं की सुरक्षा मजबूत करने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर है।

पाकिस्तानी सेना ने सीमा पर अपनी सुरक्षा कड़ी कर दी है। अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं और सतर्कता बढ़ाई गई है। इसके अलावा, सेना ने हवाई और जमीनी अभियान के लिए रणनीति तैयार की है ताकि अफगान लड़ाकों की हरकतों को रोका जा सके।

अफगान लड़ाकों की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान में राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है। विपक्ष और सुरक्षा विशेषज्ञों ने सरकार की सीमा निगरानी और आतंकवाद रोधी नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
स्थानीय नागरिकों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है। कई गांवों और कस्बों में लोग अपने घरों से सुरक्षा कारणों से पलायन करने को मजबूर हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस मामले पर ध्यान दिया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पाकिस्तान ने तुरंत प्रभावी कार्रवाई नहीं की तो सीमा पार से और बड़ी घुसपैठें हो सकती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को अपनी सैन्य रणनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग दोनों को मजबूत करना होगा। शहबाज सरकार की सऊदी और कतर से सहायता लेने की कोशिशें फिलहाल संकट को नियंत्रित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।

अफगान लड़ाकों की इन गतिविधियों ने पाकिस्तान में सुरक्षा और राजनीतिक अस्थिरता की संभावनाओं को बढ़ा दिया है, और आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की स्थिति पर विश्व समुदाय की निगाहें टिकी रहेंगी।

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