केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट में कई मुद्दों पर बातचीत की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कहा कि आपातकाल के “काले अध्याय” को छोड़ दें तो भारत के लोकतंत्र के इतिहास में प्रेस की स्वतंत्रता पर “कभी भी कोई प्रतिबंध नहीं देखा जा सकता”।
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि लेखक और विचारक उन मुद्दों पर सरकार के विचारों को भी प्रतिबिंबित कर सकते हैं जहां “सामाजिक सहमति” है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे “सरकार की कठपुतली” हैं। रक्षा मंत्री ने एनडीटीवी डिफेंस समिट में अपने संबोधन में कहा कि मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है, उन्होंने यह कहा कि यह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है और वे दोनों एक-दूसरे को जोड़ने का काम करती है।
पने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने बिना किसी राजनीतिक दल या नेता का नाम लिए 1970 के दशक में लगाए गए आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ”इस देश के लोकतंत्र के इतिहास में अगर हम आपातकाल के काले अध्याय को अलग रख दें तो प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी कोई प्रतिबंध देखने को नहीं मिलेगा।”