कुआलालंपुर। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का हाल ही में मलयेशिया दौरा चर्चा में आ गया है, लेकिन इस बार चर्चा उनके राजनीतिक या कूटनीतिक कामों के कारण नहीं, बल्कि एक असामान्य सार्वजनिक प्रदर्शन के कारण हो रही है। प्रधानमंत्री ने एक मुशायरे में शिरकत की, जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध उर्दू शेर “खुदी को कर बुलंद इतना…” पढ़ने का प्रयास किया, लेकिन उनका प्रदर्शन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और उन्हें “किरकिरी” झेलनी पड़ी।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री शरीफ को स्थानीय अधिकारियों ने आमंत्रित किया था कि वे मलयेशिया के सांस्कृतिक मंच पर उर्दू शायरी प्रस्तुत करें। प्रधानमंत्री ने उत्साहपूर्वक मंच पर कदम रखा और एक प्रसिद्ध शेर पढ़ने की कोशिश की, लेकिन उनकी उच्चारण और प्रस्तुति को लेकर दर्शकों और मीडिया में हल्की हंसी फैल गई। कुछ वीडियोज सोशल मीडिया पर साझा होते ही वायरल हो गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति पाकिस्तान के पीएम के लिए सांस्कृतिक कूटनीति में अप्रत्याशित मोड़ बन गई। उन्होंने मंच पर अपने आत्मविश्वास को दिखाने की कोशिश की, लेकिन उच्चारण और मंचीय प्रस्तुति में चूक के कारण यह घटना व्यापक चर्चा का विषय बन गई।
सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने इस घटना को लेकर मजाक बनाते हुए ट्वीट किए, जबकि कुछ ने इसे एक साहसिक प्रयास करार दिया। आलोचकों ने कहा कि विदेशी दौरे पर सार्वजनिक प्रदर्शन में इस तरह की गलतियों से नेतृत्व की छवि पर असर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री का मकसद स्थानीय संस्कृति को सम्मान देना और पाक-मलयेशियाई संबंधों को मजबूती देना था।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की घटनाएं नेताओं की मानवियता और असामान्य प्रयासों को उजागर करती हैं, लेकिन सही तैयारी और मंचीय अभ्यास की कमी के कारण कभी-कभी उन्हें मजाक का पात्र भी बना देती हैं।
मालूम हो कि पाकिस्तान के पीएम का यह दौरा दोनों देशों के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया था। हालांकि, मंच पर हुई यह घटना सोशल मीडिया पर उनकी छवि के लिए अनचाहा मजाक बन गई।





