संदेशखाली के हालात मंगलवार को कुछ बदले नजर आए। गांव की महिलाओं में उत्साह, उम्मीद और हौसला दिखा। उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिलाएं कहती हैं, अब मुंह ढक कर बोलने की जरूरत नहीं है। अब किसी से कोई डर नहीं।
महिलाओं ने कहा, अब तीनों आरोपी पुलिस हिरासत में हैं। लेकिन मन में एक दुख जरूर है। इतना कुछ हुआ, लेकिन दीदी (सीएम ममता बनर्जी) साथ खड़ी नहीं हुईं। एक बार यहां आकर हमारा हाल नहीं जाना, लेकिन दादा (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) से बहुत उम्मीद है।
गांव की महिलाओं का उत्साह और उम्मीद स्वाभाविक है। उन्हें न्याय की उम्मीद है और वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनका विश्वास और समर्थन उन्हें मजबूत बनाता है। वे अपने मुद्दों को उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों से उम्मीद कर रही हैं और अपने समस्याओं का समाधान चाह रही हैं।
उनका सुरक्षित और न्यायपूर्ण जीवन की चाह और मांग समाज के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, उन्होंने सुनहरे भविष्य की आशा और जिम्मेदारी के साथ जमीन का समतल करने और स्वच्छ जल संसाधन की आवश्यकता को उठाया है।