देहरादून। हालिया आपदा ने जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं बुनियादी सुविधाओं पर भी गहरा असर डाला है। भारी बारिश और भूस्खलन से कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति की लाइनें बह गईं, जिसके चलते करीब 35 हजार से अधिक लोग पीने के पानी की भारी किल्लत झेल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, आपदा के दौरान कई जगहों पर नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने से पेयजल लाइनों को भारी नुकसान पहुंचा। पाइपलाइनें बह जाने से गांवों और कस्बों में नलों से पानी आना पूरी तरह बंद हो गया है। ग्रामीणों को दूर-दराज के स्रोतों से पानी लाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में लोग खुले स्रोतों, बरसात के पानी या टैंकरों पर निर्भर हो गए हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तीन से चार दिन बीत जाने के बाद भी विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। महिलाओं और बच्चों को पीने का पानी जुटाने के लिए घंटों पैदल चलना पड़ रहा है। इस कारण बीमारियों के फैलने का भी खतरा बढ़ गया है।
जल संस्थान के अधिकारियों का कहना है कि आपदा में क्षतिग्रस्त पाइपलाइनों की मरम्मत युद्धस्तर पर की जा रही है। कई जगहों पर अस्थायी लाइनें बिछाई जा रही हैं और टैंकरों से भी आपूर्ति शुरू की गई है। हालांकि दूरस्थ और ऊंचाई वाले गांवों तक टैंकर पहुंचाना चुनौती साबित हो रहा है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि सरकार और प्रशासन पेयजल आपूर्ति को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करे, ताकि लोगों को राहत मिल सके।





