उत्तराखंड में दंगागिरी, अराजकता या अशांति पैदा करने वाले व्यक्तियों पर लागू होने वाले कठोर कानून के तहत सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई नहीं की जाएगी, बल्कि दंगा-फसाद पर काबू पाने के लिए सरकारी मशीनरी का खर्च भी दंगाइयों से वसूला जाएगा। कानून के तहत गठित होने वाले दावा अधिकरण (ट्रिब्यूनल) ने एक बार फैसला सुना दिया तो उसके खिलाफ कोई अपील नहीं हो सकेगी न उसकी सुनवाई होगी। अधिकारी का फैसला अंतिम होगा। उसके आदेश के विरुद्ध किसी भी न्यायालय में अपील नहीं हो सकेगी। जहां दावा अधिकारी गठित हो जाएगा, वहां किसी सिविल न्यायालय को प्रतिकर के किसी दावे से संबंधित किसी प्रश्न को अंगीकृत नहीं किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों में भी इस कठोर कानून को लागू किया गया है, जिसमें दंगा-फसाद या प्रदर्शन के दौरान मृत्यु पर प्रतिवादी से पांच लाख रुपये और घायल होने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। उत्तराखंड में भी यहां मृत्यु पर आठ लाख और घायल होने पर दो लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।