नई दिल्ली: साल 2025 का अंतिम चंद्रग्रहण रविवार देर रात संपन्न हुआ। खगोलीय गणना के अनुसार, ग्रहण का समापन रात 1:26 बजे हुआ। देशभर में इस खगोलीय घटना को लेकर श्रद्धालुओं और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों में खासा उत्साह देखा गया।
ग्रहण शुरू होने से पहले ही शास्त्र सम्मत नियमों के अनुसार सूतक काल लग गया था, जिसके चलते देशभर के प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। कई धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चार के कार्यक्रम आयोजित हुए। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण अनुष्ठान कर कपाट दोबारा खोले गए।
हरिद्वार, वाराणसी, उज्जैन और अन्य तीर्थस्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने पहुंचे। परंपरागत मान्यता है कि ग्रहण के बाद स्नान और दान-पुण्य करना विशेष फलदायी होता है।
दूसरी ओर, खगोल प्रेमियों ने इस खगोलीय घटना को टेलीस्कोप और कैमरे के जरिए कैद किया। वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रग्रहण न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि खगोल विज्ञान की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की सटीक स्थिति का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।