वॉशिंगटन।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और ट्रंप प्रशासन में अहम भूमिका निभा चुके जॉन बोल्टन ने बाइडन सरकार की विदेश नीति पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। बोल्टन का कहना है कि व्हाइट हाउस की मौजूदा रणनीति भारत को अमेरिका से दूर और रूस व चीन के करीब धकेल रही है।
बोल्टन का तीखा बयान
बोल्टन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक व्यावहारिक और रणनीतिक सोच वाले नेता हैं। वे भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हैं और उसी आधार पर वैश्विक मंच पर फैसले करते हैं। उनका कहना था, “अमेरिका की उलझी हुई नीतियां और अनिश्चित रुख भारत जैसे देश को मजबूर कर रहा है कि वह रूस और चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत करे।”
भारत के लिए रूस-चीन का महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ऊर्जा, रक्षा और कूटनीति के लिहाज से रूस और चीन को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकता। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी है, जबकि चीन से व्यापारिक संबंध भी व्यापक हैं। बोल्टन के अनुसार, अमेरिका को भारत की भू-राजनीतिक जरूरतों को समझते हुए सहयोग की दिशा तय करनी चाहिए।
अमेरिकी नीति पर सवाल
बोल्टन ने यह भी कहा कि यदि अमेरिका चाहता है कि भारत उसका “सच्चा रणनीतिक साझेदार” बने, तो उसे भारत पर दबाव डालने के बजाय सहयोग और भरोसे का माहौल बनाना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि हालात ऐसे ही रहे, तो एशिया में शक्ति संतुलन बदल सकता है और अमेरिका को रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भारत की विदेश नीति संतुलन पर टिकी
भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि उसकी विदेश नीति बहुध्रुवीय दुनिया पर आधारित है। यानी, वह किसी एक खेमे में शामिल हुए बिना, अपनी स्वतंत्र नीति पर चलना चाहता है। मोदी सरकार ने रूस, चीन और अमेरिका – तीनों के साथ संबंधों को संतुलित रखने की कोशिश की है।