देहरादून एयरपोर्ट (जॉलीग्रांट) पर इस बार मानसून ने 23 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। लगातार हो रही भारी बारिश ने सामान्य आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है, जिससे मौसम वैज्ञानिकों से लेकर पर्यावरणविदों तक सभी हैरान हैं। विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन और पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम के बिगड़ते पैटर्न का परिणाम मान रहे हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, बीते 24 घंटों में एयरपोर्ट क्षेत्र में इतनी बारिश दर्ज की गई, जितनी पिछले दो दशक से अधिक समय में कभी नहीं हुई थी। इसने वर्ष 2001 में दर्ज किए गए पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। विभाग का कहना है कि बारिश की तीव्रता और आवृत्ति दोनों में इस बार असामान्य उछाल देखने को मिला है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के विशेषज्ञों ने इसे ‘क्लाइमेट एनॉमली’ बताया है। उनका कहना है कि उत्तराखंड के तराई और पहाड़ी क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों से बारिश का पैटर्न तेजी से बदल रहा है। कहीं लंबे समय तक शुष्क मौसम बना रहता है, तो कहीं कम समय में अत्यधिक वर्षा हो रही है।
पर्यावरणविदों ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि जिस तेजी से बादल फटने और असामान्य वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं, वह आने वाले समय में आपदा प्रबंधन के लिए गंभीर चुनौती बन सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्वतीय इलाकों में बढ़ते शहरीकरण और जंगलों की कटाई ने भी स्थिति को और खराब किया है।
स्थानीय लोगों के लिए यह बारिश परेशानी का सबब बन गई है। लगातार बरसात से कई इलाकों में जलभराव और सड़कें बाधित हुई हैं। एयरपोर्ट तक पहुंचने वाले यात्रियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
इस अप्रत्याशित वर्षा ने जहां लोगों को हैरान किया है, वहीं यह चेतावनी भी दी है कि उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति और सतर्क रहने की जरूरत है।
दून एयरपोर्ट पर टूटा 23 साल का बारिश का रिकॉर्ड, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् स्तब्ध
