Wednesday, August 27, 2025

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संघर्षविराम पर इस्राइल की चुप्पी से कतर नाराज, रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख की बैठक बनी चर्चा का केंद्र

गाजा पट्टी में पिछले 23 महीनों से जारी इस्राइल-हमास संघर्ष के बीच हालात लगातार भयावह होते जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध विराम की कोशिशें तेज़ होने के बावजूद अब तक ठोस समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। दरअसल, इस मामले में इस्राइल का स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है। यही कारण है कि मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे कतर ने भी अब इस्राइल के रवैये पर नाराजगी जताई है।

कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने मीडिया को बताया कि इस्राइल अब तक संघर्षविराम प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि न तो इस्राइल ने प्रस्ताव स्वीकार किया है, न खारिज किया है और न ही कोई नया मसौदा रखा है। इसके विपरीत हमास पहले ही मिस्र और कतर को सूचित कर चुका है कि वह मौजूदा प्रस्ताव पर सहमत है और बातचीत फिर से शुरू करने को तैयार है।

संघर्षविराम प्रस्ताव का स्वरूप

इस प्रस्ताव के तहत इस्राइली सेना को 60 दिनों तक सैन्य अभियान रोकना होगा। इस अवधि में गाजा में राहत सामग्री पहुंचने दी जाएगी और हमास की कैद में रखे गए बंधकों में से आधों को रिहा किया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि यही प्रस्ताव पहले इस्राइल की मंजूरी से तैयार हुआ था और अब हमास ने भी 98% बिंदुओं पर सहमति जताई है। कतर ने स्पष्ट किया है कि अब गेंद इस्राइल के पाले में है, लेकिन वहां से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिल रही।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील

कतर ने वैश्विक समुदाय से अपील की है कि वह इस्राइल पर दबाव बनाए ताकि युद्ध रोकने और शांति बहाल करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। प्रवक्ता अल-अंसारी ने चेतावनी दी कि हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और समाधान में देरी गाजा की त्रासदी को और गहरा कर रही है।

इस्राइल में रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख की बैठक

इधर, दूसरी ओर इस्राइल में राजनीतिक-सैन्य हलकों में हलचल बढ़ी हुई है। मंगलवार को रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज और सेना प्रमुख (आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ) जनरल एयाल जामीर के बीच बंद कमरे में एक अहम बैठक हुई। बैठक में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों पर चर्चा हुई और प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।

संयुक्त बयान में कहा गया कि नियुक्तियों के दौरान रक्षा मंत्री से पूर्व परामर्श की परंपरा जारी रहेगी। इसका उद्देश्य सेना के नेतृत्व में स्थिरता बनाए रखना, सहयोग को सुनिश्चित करना और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की क्षमता को मजबूत करना है।

मतभेद की खबरों के बीच संदेश

गौरतलब है कि बीते दिनों इस्राइली रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख के बीच कथित मतभेदों की खबरें सुर्खियों में थीं। वरिष्ठ अधिकारियों की पदोन्नति और सैन्य नीतियों पर असहमति की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। ऐसे में यह बैठक दोनों के बीच रिश्तों को सामान्य करने और सेना में नियुक्ति प्रक्रिया को सुचारु बनाने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

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