कर्नाटक में गुरुवार को पेश की गई जातिगत जनगणना रिपोर्ट ने राज्य में राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिया है। इसका डेटा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन साल 2017 में पिछली सिद्धारमैया सरकार द्वारा जारी सर्वे ने लिंगायत और वोक्कालिगा जातियों के लिए चिंता का सामना किया था। इन जातियों के लोग अब अपनी स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। रिपोर्ट को पहले कैबिनेट में पेश किया जाएगा और फिर इस पर फैसला लिया जाएगा।
2017 की सामाजिक आर्थिक सर्वे रिपोर्ट को जयप्रकाश हेग्ड़े ने गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया को सौंपी। ओबीसी आयोग के अध्यक्ष ने अपने कार्यालय के आखिरी दिन विधानसौधा में मुलाकात की। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सीएम ने इसे अगली कैबिनेट में पेश करने का वादा किया है और इस पर फैसला लेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जाति को सबसे अधिक आबादी वाला बताया गया है, इसके बाद मुसलमानों को रखा गया है, फिर लिंगायत और फिर वोक्कालिगा को। इस रिपोर्ट पर लिंगायत और वोक्कालिगा समूहों ने कड़ा विरोध किया है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भी इसके खिलाफ विरोध जताया है।