उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में नए प्रावधान जोड़ते हुए सहवास और लिव-इन संबंधों को लेकर कड़े दंड तय किए गए हैं।
धारा 387 की उपधाराओं में संशोधन के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बल, दबाव या धोखाधड़ी से किसी की सहमति प्राप्त कर सहवास संबंध स्थापित करता है, तो उसे सात साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा दी जाएगी।
इसी तरह धारा 380(2) के तहत, यदि कोई पहले से शादीशुदा व्यक्ति धोखे से लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे भी सात साल की सजा और जुर्माना भुगतना होगा। यह प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा जिन्होंने लिव-इन संबंध समाप्त कर दिया हो या जिनके जीवनसाथी का सात वर्ष या उससे अधिक समय से कोई पता न हो। पूर्ववर्ती विवाह को समाप्त किए बिना और कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना लिव-इन रिलेशन में रहने वालों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के तहत दंडित किया जाएगा, जिसमें सात साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
यूसीसी में जुड़ी दो नई धाराएं
संशोधित अधिनियम में दो नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
- धारा 390-क: विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप या उत्तराधिकार से संबंधित किसी पंजीकरण को निरस्त करने की शक्ति अब धारा-12 के अंतर्गत रजिस्ट्रार जनरल को होगी।
- धारा 390-ख: (विवरण सरकार द्वारा प्रस्तुत संशोधन में शामिल है)।