भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के बाद राजनीतिक और व्यापारिक हलकों में खलबली मच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को इस निर्णय को लागू करते हुए संकेत दिया कि यह सिर्फ शुरुआत है। उन्होंने कहा, “अभी तो सिर्फ 8 घंटे हुए हैं, आगे और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। कई और अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे।”
चीन से खरीदा ज्यादा तेल, फिर भी भारत को टारगेट?
ट्रंप प्रशासन के इस कदम पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि वर्ष 2024 में चीन ने रूस से 62 अरब डॉलर का तेल खरीदा, जबकि भारत की खरीद 52 अरब डॉलर रही। इसके बावजूद ट्रंप ने भारत पर ज्यादा सख्ती दिखाई है, जबकि चीन पर महज 30% और तुर्किये पर 15% शुल्क लगाया गया है।
27 अगस्त से 50% तक शुल्क लागू
नई टैरिफ नीति के तहत अब 27 अगस्त से भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले कई उत्पादों पर कुल 50% शुल्क लगेगा — इसमें पहले से लागू शुल्क भी शामिल है। हालांकि, दवा और स्मार्टफोन जैसे कुछ खास इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को शुल्क से बाहर रखा गया है।
विदेश मंत्रालय का तीखा जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा,
“हम अपने 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा और बाज़ार स्थितियों के अनुसार निर्णय लेते हैं। यह कदम असंगत, अनुचित और अन्यायपूर्ण है। भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कार्रवाई करेगा।”
कई सेक्टर्स होंगे प्रभावित
निर्यातकों के अनुसार अमेरिका में भारत से भेजे जा रहे फ़ुटवियर, खिलौने, जेम्स व ज्वैलरी, केमिकल्स, टेक्सटाइल, अपैरल और लेदर जैसे क्षेत्रों पर बड़ा असर पड़ेगा। अब भारतीय वस्तुएं प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएंगी क्योंकि ब्राजील को छोड़कर किसी अन्य देश पर इतना अधिक शुल्क नहीं लगाया गया है।
चीन को फिर फायदा मिलने की आशंका
ट्रंप के निर्णय से अमेरिकी खरीदारों का रुझान एक बार फिर चीन की ओर लौट सकता है। अब जबकि भारत पर 50% और चीन पर 30% शुल्क है, तो कीमतों की दृष्टि से चीन फिर से आकर्षक विकल्प बन सकता है।
88 अरब डॉलर का था भारत का अमेरिकी निर्यात
भारत ने वर्ष 2024-25 में अमेरिका को कुल 88 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जिसमें अप्रैल-जून तिमाही में 22% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। टैरिफ वॉर से यह ग्रोथ रुक सकती है और भारत के निर्यात क्षेत्र को भारी झटका लगने की आशंका है।