विपक्षी दलों द्वारा लगातार व्यवधान के चलते पिछले 11 वर्षों में लोकसभा की 1,450 घंटे से अधिक की कार्यवाही बाधित हुई है, जिससे देश को करीब ₹2,175 करोड़ का प्रत्यक्ष वित्तीय नुकसान हुआ है। यह खुलासा संसद सचिवालय और संसदीय अनुसंधान संस्थानों द्वारा किए गए एक विश्लेषण में हुआ है।
2014 से 2025 तक के आंकड़ों के अनुसार, पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों के विरोध, अडानी-हिंडनबर्ग प्रकरण और संसद सुरक्षा उल्लंघन जैसे मुद्दों पर संसद में बार-बार हंगामा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, 16वीं, 17वीं और वर्तमान 18वीं लोकसभा में कार्यदिवसों का औसतन 32% समय व्यवधान की भेंट चढ़ गया, जो पिछले दशक के मुकाबले 5% अधिक है।
विशेषज्ञों के अनुसार, संसद सत्र का प्रति मिनट खर्च लगभग ₹2.5 लाख है, जिसमें सांसदों के भत्ते, प्रशासनिक खर्च, सुरक्षा प्रबंधन और तकनीकी व्यवस्था शामिल हैं। 18वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण और शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई।