उत्तराखंड में स्कूलों को संवारने की बड़ी घोषणाओं के बीच राजधानी देहरादून के सरकारी स्कूलों की हालत अभी भी बेहद चिंताजनक बनी हुई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जहां हाल ही में जर्जर स्कूलों में बच्चों को न भेजने के निर्देश दिए हैं, वहीं वास्तविक तस्वीर इससे अलग है।
घंटाघर से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय बापूनगर, जाखन की हालत बेहद जर्जर है। बारिश के दिनों में स्कूल की छत से पानी टपकता है, और प्लास्टर गिरने का डर हमेशा बना रहता है। स्कूल की छत, दीवारों और बुनियाद में दरारें साफ नजर आती हैं। यहाँ कक्षा तीन और चार के छात्रों को एक ही कमरे में बैठाया जाता है, और बरसात होने पर उन्हें बरामदे में शिफ्ट करना पड़ता है।
शिक्षकों की भारी कमी
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अनुसार, हर 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना अनिवार्य है। लेकिन इस स्कूल में 80 छात्र-छात्राओं पर मात्र दो शिक्षिकाएं कार्यरत हैं। यदि एक शिक्षिका छुट्टी पर हो तो दूसरी को अकेले पाँच कक्षाओं को संभालना पड़ता है।
सुरक्षा और संरचना दोनों संकट में
स्कूल में बाउंड्री वॉल नहीं है, जिससे अतिक्रमण का खतरा बना रहता है। प्रधानाध्यापिका सीमा नेगी के अनुसार, कुछ लोगों ने स्कूल की चारदीवारी तोड़ दी है और छुट्टियों के दौरान ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिशें होती रहती हैं।
पुनर्निर्माण की योजना, लेकिन क्रियान्वयन लंबित
इस भवन को गिराकर नए भवन का निर्माण किया जाना है। जिला शिक्षा अधिकारी को भेजे पत्र में सीईओ विनोद कुमार ढौंडियाल ने बताया कि ग्रामीण निर्माण विभाग ने ₹36.87 लाख का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका परीक्षण जारी है।
अन्य क्षेत्रों की स्थिति भी चिंताजनक
- जूनियर हाईस्कूल दार्मिगाड चकराता में भी प्लास्टर गिर रहा है।
- डोईवाला क्षेत्र के कई स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है, जिससे जानवर और कीड़े-मकोड़ों का खतरा बना रहता है।
- झड़ौंद और सिमलास जैसे स्कूलों में कूड़े का ढेर और सुरक्षा का अभाव देखा गया है।
27 स्कूलों को करना पड़ा शिफ्ट
जिला शिक्षा अधिकारी प्रेम लाल भारती ने बताया कि 27 स्कूलों को जर्जर हालत के कारण पंचायत भवनों और निजी भवनों में शिफ्ट किया गया है।
आपदा राहत कोष से राहत की कोशिश
राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि स्कूलों के लिए 30 करोड़ रुपये आपदा मद से जारी किए गए हैं ताकि आवश्यक मरम्मत त्वरित रूप से हो सके। साथ ही, सभी स्कूलों का सुरक्षा ऑडिट कराया जा रहा है और असुरक्षित भवनों से बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा।