Sunday, July 27, 2025

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शिक्षा व्यवस्था पर फिर बोले मोहन भागवत: कहा– भारतीय दर्शन पर आधारित हो नई शिक्षा प्रणाली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली औपनिवेशिक सोच के दीर्घकालिक प्रभाव में विकसित हुई है, जो अब भारत की ज़रूरतों और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एक विकसित भारत” के लिए शिक्षा व्यवस्था को भारतीय दर्शन और परंपराओं पर आधारित होना चाहिए।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय चिंतन बैठक में संबोधन

यह बयान उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन दिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सक्षम और प्रभावशाली बनें तथा समाज में मित्रवत संबंध बनाकर लोगों को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करें।

 ज्ञान सभा’ को भी करेंगे संबोधित

न्यास ने जानकारी दी है कि मोहन भागवत रविवार को राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ को संबोधित करेंगे, जिसका औपचारिक उद्घाटन 28 जुलाई (सोमवार) को होगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के संदर्भ में नई वैचारिक शिक्षा प्रणाली पर मंथन करना है।

भारतीय दर्शन आधारित शिक्षा क्यों?

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का मानना है कि

भारतीय दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली न केवल सामाजिक सुधार लाएगी बल्कि यह राष्ट्रीय प्रगति का भी मार्ग प्रशस्त करेगी।”

समाज में नैतिक गिरावट और चुनौतियाँ भी चर्चा में

न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कोठारी ने शिक्षा में नैतिक मूल्यों की गिरावट, महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा, और पर्यावरणीय संकट जैसे विषयों को भी गंभीर बताते हुए कहा कि इन समस्याओं का समाधान मानव केंद्रित, मूल्यनिष्ठ और भारतीय दृष्टिकोण से विकसित शिक्षा से ही संभव है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका

कोठारी ने कहा,

*“भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक पहुंचने जैसी उपलब्धियां यह दिखाती हैं कि हम तकनीकी और वैज्ञानिक रूप से आगे हैं। अब आवश्यकता है कि हमारी *शिक्षा प्रणाली भी भारत के मूल दर्शन के अनुसार विकसित हो।”

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है रियल टाइम डाटा शेयरिंग‘: नशा मुक्त भारत और आतंकवाद पर बोले अमित शाह


गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावी बनाने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच रियल टाइम डाटा शेयरिंग का मजबूत इकोसिस्टम विकसित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य और भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते आने वाले समय में देश को नई चुनौतियों का सामना करना होगा, जिनसे निपटने के लिए तकनीक और तालमेल दोनों आवश्यक हैं।

इस सम्मेलन में सभी राज्यों के डीजीपी, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशक, खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख, तथा अत्याधुनिक तकनीक से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। यह सम्मेलन हाइब्रिड मॉडल पर आयोजित किया गया।

ऑपरेशन सिंदूर को बताया दृढ़ इच्छाशक्ति का उदाहरण

गृह मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक दृढ़ता और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का जीवंत उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के ज़रिए भारत ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी संप्रभुता के खिलाफ किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा।

आंतरिक समस्याओं के समाधान की दिशा में प्रगति

अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब देश को विभिन्न राज्यों में बिखरी हुई कई जटिल आंतरिक समस्याएं विरासत में मिलीं थीं। लेकिन बीते 11 वर्षों में सरकार ने ठोस रणनीतियों और व्यापक प्रयासों के ज़रिए इन समस्याओं का समाधान किया है।

तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, बढ़ती जिम्मेदारियां

गृह मंत्री ने देश की आर्थिक प्रगति को भी सुरक्षा चुनौतियों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा खतरों और साइबर चुनौतियों का दायरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। इनसे निपटने के लिए उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को अधिक सतर्क, सजग और तकनीकी रूप से सुसज्जित रहने की सलाह दी।

नशा मुक्त भारत अभियान की सराहना

अपने संबोधन में शाह ने नशा मुक्त भारत अभियान का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि देश की युवा शक्ति को नशे के जाल से बचाना सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकता है। इसके लिए सभी राज्यों, सामाजिक संगठनों और जनता को मिलकर एकजुट प्रयास करने होंगे।

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