सत्ता के दुरुपयोग, दस्तावेज़ गढ़ने और असंवैधानिक फैसलों के आरोप; विरोधियों को कुचलने के लिए लिया था आपात फैसला
दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल की कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। मार्शल लॉ लागू करने के विवादास्पद आदेश के चलते उन पर नए आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिसके कारण उन्हें अब छह महीने और जेल में रहना होगा।
यह घटनाक्रम राष्ट्रपति पद से हटाए जाने के तीन महीने बाद सामने आया है। इससे पहले अप्रैल में देश के संवैधानिक न्यायालय ने उनके महाभियोग को वैध ठहराते हुए पद से हटाने का निर्णय दिया था।
क्या हैं नए आरोप?
विशेष अभियोजक चो यून-सुक की टीम ने यून पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
• सत्ता का दुरुपयोग, जिससे कुछ कैबिनेट मंत्रियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हुआ।
• चुनिंदा मंत्रियों की मौजूदगी में मार्शल लॉ की मंजूरी, जबकि दक्षिण कोरियाई कानून के तहत पूरे कैबिनेट की सहमति अनिवार्य है।
• मार्शल लॉ की घोषणा के लिए दस्तावेजों को गढ़ना और फिर उन्हें नष्ट करना, जो गंभीर संवैधानिक उल्लंघन माना जा रहा है।
कैसे बढ़ा विवाद?
यून सुक येओल ने 3 दिसंबर 2024 को अपने विपक्षियों को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू किया था, जो केवल कुछ घंटों तक चला।
उसी दिन कुछ सांसदों ने हथियारबंद सैनिकों की घेरेबंदी तोड़कर संसद में मतदान कर मार्शल लॉ रद्द कर दिया। इसके बाद 14 दिसंबर को महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ और 26 जनवरी को अभियोजन पक्ष ने यून पर विद्रोह की साजिश रचने का आरोप लगाया।
यून का जवाब
यून ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका फैसला विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की ‘दुष्ट रणनीतियों’ के खिलाफ प्रतिक्रिया थी।
उन्होंने विपक्ष पर सरकार के बजट में कटौती, शीर्ष अधिकारियों पर महाभियोग, और नेशनल असेंबली को ‘देश विरोधी ताकतों का अड्डा’ करार देने का आरोप लगाया।
यून का कहना है कि उन्होंने जनता का समर्थन पाने के लिए यह ‘आखिरी कोशिश’ की थी।
अगला कदम?
सियोल कोर्ट ने हाल में फिर से यून की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर उन्हें जेल भेज दिया है।
अब अगले छह महीनों तक वे हिरासत में रहेंगे, जबकि उनके खिलाफ विद्रोह, दुरुपयोग और संवैधानिक व्यवस्था को तोड़ने जैसे मामलों में मुकदमा चलेगा।