मध्य पूर्व में बीते कुछ दिनों से बढ़ते तनाव के बीच इजरायल और सीरिया के बीच युद्धविराम (सीजफायर) की घोषणा की गई है। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम की पुष्टि तुर्किए में अमेरिका के राजदूत टॉम बैरक ने की है। उन्होंने बताया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सीरिया के नए नेता अहमद-अल-शराआ ने इस समझौते पर सहमति जता दी है।
🕊️ क्या बोले अमेरिकी राजदूत?
राजदूत टॉम बैरक ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा:
“हम ड्रूज, बैडोइन और सुन्नी समुदायों से अपील करते हैं कि वे हथियार डालें और सभी अल्पसंख्यकों के साथ मिलकर एक नए, शांतिपूर्ण और समृद्ध सीरिया का निर्माण करें।”
इसके साथ उन्होंने कहा कि यह युद्धविराम क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक सकारात्मक संकेत है, और इसमें जॉर्डन व तुर्किए की भी अहम भूमिका रही है।
🔥 पृष्ठभूमि: क्यों भड़का था संघर्ष?
- बुधवार को इजरायल ने दमिश्क में सीरियाई सेना मुख्यालय पर एयर स्ट्राइक की थी।
- इजरायल ने इस हमले के पीछे कारण बताया कि वह ड्रूज समुदाय की मदद कर रहा है, जिसकी दक्षिणी सीरिया में बैडोइन समुदाय से रार चल रही है।
- हमले में भारी तबाही हुई थी और क्षेत्र में एक बार फिर युद्ध की आहट सुनाई देने लगी थी।
🌍 क्षेत्रीय समर्थन और असर
- जॉर्डन और तुर्किए ने इस सीजफायर समझौते का समर्थन किया है।
- अमेरिका की भूमिका इस शांति प्रयास में मध्यस्थ और दबाव बनाने वाले पक्ष के रूप में अहम रही।
- यह समझौता सीरिया में विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों के बीच सहयोग और समावेशी निर्माण की दिशा में एक संभावित शुरुआत माना जा रहा है।
🔍 आगे की राह
यह युद्धविराम अस्थायी शांति की शुरुआत है या नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव, इसका जवाब आने वाले दिनों में तय होगा। लेकिन फिलहाल, मध्य पूर्व में एक और बड़े टकराव को टालने में अमेरिकी कूटनीति सफल रही है।
निष्कर्ष:
इजरायल-सीरिया युद्धविराम न केवल तत्काल हिंसा को थामने की पहल है, बल्कि यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और राजनयिक प्रयास अब भी क्षेत्रीय संकटों को नियंत्रित करने की क्षमता रखते हैं।