जापान ने अपनी हालिया वार्षिक रक्षा रिपोर्ट में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देश की “सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती” बताया है। 534 पन्नों की इस रिपोर्ट में जापानी रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया से उत्पन्न खतरे जापान की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं।
🔹 प्रशांत महासागर में चीन का बढ़ता दबदबा
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में दक्षिण-पश्चिमी जापानी क्षेत्र से गुजरने वाले चीनी युद्धपोतों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। यह गतिविधियां ताइवान और जापानी द्वीप योनागुनी के बीच के जलक्षेत्र तक फैली हुई हैं।
चीन के विमानवाहक पोतों की तैनाती, लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों की गश्त, और परिष्कृत उड़ान मार्गों का इस्तेमाल — यह सब बीजिंग के शक्ति प्रदर्शन और सैन्य तैयारियों को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
🔹 रूस और चीन की सैन्य साझेदारी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस ने हाल ही में जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और वह चीन के साथ साझा सैन्य अभियानों में संलिप्त है। इस प्रकार की सामरिक साझेदारी से जापान की सुरक्षा चिंताएं और बढ़ गई हैं।
🔹 जापान की जवाबी सैन्य तैयारी
जवाबी रणनीति के तहत जापान ने अपने दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों पर सैन्य तैनाती तेज की है और वह लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें भी तैनात करने की योजना पर काम कर रहा है।
यह कदम ताइवान को लेकर किसी संभावित संघर्ष की आशंका के तहत उठाया गया है, जिस पर चीन लगातार दावा करता है और बल प्रयोग की धमकी देता रहा है।
🔹 चीन-जापान हवाई तनाव भी बढ़ा
जापान ने चीन से जापानी जासूसी विमानों के अत्यधिक करीब उड़ान भरने पर आपत्ति जताई है। दूसरी ओर, बीजिंग ने जापान पर चीनी हवाई क्षेत्र के पास जासूसी के इरादे से उड़ान भरने का आरोप लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच हवाई तनाव भी बढ़ गया है।
🔹 उत्तर कोरिया और अमेरिका की भूमिका
रिपोर्ट में उत्तर कोरिया को भी एक गंभीर खतरा बताया गया है। उसकी ओर से परमाणु हथियारों से लैस आईसीबीएम विकसित किए जा रहे हैं जो जापान और अमेरिका दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
साथ ही, जापान ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अगर दोबारा सत्ता में आते हैं, तो सहयोगी देशों की शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएंगे।