अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने डोनाल्ड ट्रंप को शिक्षा विभाग (Department of Education) को बंद करने की दिशा में बड़ी कानूनी राहत दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को पलट दिया जिसमें विभाग के 1,400 कर्मचारियों को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया गया था।
इस फैसले के साथ ही ट्रंप को शिक्षा विभाग को खत्म करने का रास्ता मिल गया है — एक ऐसा कदम जिसे वह राष्ट्रपति चुनाव के दौरान वादा कर चुके थे। हालांकि, इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीन उदारवादी जजों ने तीखा विरोध दर्ज किया है।
🔹 क्या है मामला?
मार्च 2025 में शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन ने विभाग के आधे कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की थी। इसके बाद ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी कर शिक्षा विभाग को पूरी तरह बंद करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।
इस आदेश को लेकर दो अलग-अलग याचिकाएं दायर हुईं — एक डेमोक्रेटिक राज्यों की ओर से और दूसरी मैसाचुसेट्स के स्कूलों व यूनियनों की तरफ से। उनका तर्क था कि यह फैसला अमेरिका में शिक्षा की गारंटी को कमजोर करता है।
🔹 सुप्रीम कोर्ट का फैसला और विवाद
सुप्रीम कोर्ट के बहुमत वाले रूढ़िवादी जजों ने ट्रंप प्रशासन की अपील को मंजूरी दे दी, जिससे निचली अदालत का कर्मचारी बहाली का आदेश निरस्त हो गया।
जस्टिस सोनिया सोटोमायोर ने अपनी असहमति में लिखा कि यह फैसला राष्ट्रपति को “संस्थानों को जानबूझकर खत्म करने” की शक्ति देता है, क्योंकि जरूरी स्टाफ को हटाकर कोई भी विभाग निष्क्रिय किया जा सकता है। जस्टिस एलेना कागन और केतांजी ब्राउन जैक्सन ने भी इस पर सहमति जताई।
🔹 ट्रंप शिक्षा विभाग को क्यों बंद करना चाहते हैं?
ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी का मानना है कि शिक्षा का नियंत्रण राज्यों के पास होना चाहिए, न कि संघीय सरकार के।
उनका दावा है कि शिक्षा का विकेंद्रीकरण करने से:
• स्थानीय स्कूलों को ज्यादा स्वायत्तता मिलेगी,
• संघीय दखल कम होगा,
• और माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
यह कदम उनके उस बड़े एजेंडे का हिस्सा है जिसके तहत वे संघीय सरकार को छोटा करना चाहते हैं और कई एजेंसियों को खत्म या विलय कर देना चाहते हैं।
🔹 क्या हो सकता है असर?
• अगर शिक्षा विभाग बंद होता है, तो संघीय स्तर पर शिक्षा की निगरानी, फंडिंग और नीतियों का जिम्मा राज्यों को सौंपा जाएगा।
• इससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को नुकसान हो सकता है, जिन्हें फेडरल ग्रांट्स और सपोर्ट की जरूरत होती है।
• अमेरिका की शिक्षा प्रणाली में असमानता बढ़ने का खतरा बन सकता है।
🔹 निचली अदालत की क्या थी टिप्पणी?
बॉस्टन के जज म्योंग जून ने कहा था कि विभाग को पंगु करने की कोशिश संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य है। “जो विभाग अपने वैधानिक कार्यों के लिए जरूरी स्टाफ नहीं रखता, वह अस्तित्वहीन हो जाता है।”