प्रदेश में जीएसटी चोरी के बढ़ते मामलों पर लगाम कसने के लिए उत्तराखंड सरकार ने पहली डिजिटल फॉरेंसिक लैब स्थापित करने का निर्णय लिया है। ₹12.9 करोड़ की लागत से बनने वाली यह अत्याधुनिक लैब अब राज्य कर विभाग की जीएसटी जांच प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और तेज बनाएगी। राज्य कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।
यह लैब राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गुजरात के सहयोग से संचालित की जाएगी। इस पहल से जीएसटी चोरी से संबंधित मामलों में जब्त लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल उपकरणों की जांच अब प्रदेश में ही संभव हो सकेगी।
🔍 जांच में आती थी देरी:
राज्य कर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब तक टैक्स चोरी के मामलों में फर्मों से जब्त डिजिटल साक्ष्य जांच के लिए केंद्रीय लैब्स को भेजे जाते थे। इस प्रक्रिया में समय लगने से त्वरित कार्रवाई प्रभावित होती थी। लेकिन अब, प्रदेश में ही लैब उपलब्ध होने से न केवल जांच में तेजी आएगी, बल्कि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई भी की जा सकेगी।
🧾 क्यों जरूरी थी डिजिटल लैब:
जीएसटी चोरी से जुड़ी जांच में अक्सर डिजिटल साक्ष्यों की भूमिका अहम होती है। ऐसे में लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, मोबाइल फोन, सर्वर डाटा आदि की फॉरेंसिक जांच आवश्यक हो जाती है। लेकिन राज्य के पास अब तक इस क्षेत्र की विशेषज्ञता और संसाधनों की कमी थी। इसी कारण विभाग ने सरकार के समक्ष स्थानीय फॉरेंसिक लैब की मांग रखी थी।
💡 सरकार की रणनीति:
- छापेमारी और निगरानी में तकनीकी दक्षता बढ़ेगी
- तुरंत जांच और साक्ष्य विश्लेषण संभव होगा
- फर्मों पर कार्रवाई की प्रक्रिया में पारदर्शिता और तीव्रता आएगी
- सरकारी राजस्व में संभावित वृद्धि होगी
यह कदम न केवल जीएसटी चोरी को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि उत्तराखंड को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में भी एक ठोस पहल है।