Tuesday, July 1, 2025

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के. बेइचुआ ने मिजोरम भाजपा के नए अध्यक्ष का पदभार संभाला

मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. के. बेइचुआ को भाजपा की मिजोरम शाखा का नया अध्यक्ष बनाया गया है। एक भाजपा नेता ने बताया कि बेइचुआ ने वनलालहमुआका की जगह पदभार संभाला है, जो लगातार दो कार्यकाल से इस पद पर थे। इसके अलावा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े वरिष्ठ नेता और वकील एन. रामचंदर राव तेलंगाना भाजपा के नए अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। वे मौजूदा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी की जगह लेंगे। सियाहा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक बेइचुआ ने लोगों से विकास के लिए भाजपा में शामिल होने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि लोगों को अब उन पार्टियों पर भरोसा नहीं रह गया है जिन्होंने अतीत में मिजोरम पर शासन किया था या जो पार्टी वर्तमान में राज्य में सत्ता में है। बेइचुआ ने दावा किया कि भाजपा गरीबों के उत्थान के लिए काम कर रही है। रविवार को भाजपा के आंतरिक चुनाव हुआ, जिसमें सर्वसम्मति से बेइचुआ को नया अध्यक्ष चुना गया। यह चुनाव भाजपा के मिजोरम प्रभारी दवेश कुमार की मौजूदगी में हुआ।
सोमवार को भाजपा राष्ट्रीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन ने औपचारिक रूप से सियाहा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक को राज्य पार्टी का नया अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की। वह पार्टी के संगठनात्मक चुनाव के लिए राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी भी हैं। बेइचुआ वर्तमान 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में भगवा पार्टी के दो विधायकों में से एक हैं तथा भाजपा विधायक दल के नेता हैं। वह 2013 और 2018 में लगातार दो बार मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के टिकट पर सियाहा से विधानसभा के लिए चुने गए और पांच साल बाद फिर से भाजपा के टिकट पर चुने गए। जोरामथांगा के नेतृत्व वाली पिछली एमएनएफ सरकार में वह आबकारी और नारकोटिक्स सहित विभिन्न विभागों के मंत्री थे। उस साल जनवरी में एमएनएफ से निष्कासन के बाद अक्तूबर 2023 में बेइचुआ भाजपा में शामिल हो गए।

दूसरी ओर, रामचंदर राव की नियुक्ति को भाजपा की वैचारिक सोच और संगठन को राज्य में मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। वे अध्यक्ष पद के लिए इकलौते उम्मीदवार थे और उनके चुनाव की घोषणा मंगलवार को की जाएगी।

राव 1970 और 1980 के दशक में हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में छात्र नेता के रूप में उभरे। उस समय विश्वविद्यालय की राजनीति पर वामपंथी विचारधारा का दबदबा था, लेकिन राव ने एबीवीपी का नेतृत्व करते हुए इसका डटकर मुकाबला किया। उन्हें कई बार शारीरिक हमलों का सामना भी करना पड़ा, जिसमें एक गंभीर हमला विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में हुआ था, जिसके कारण वे हफ्तों तक अस्पताल में भर्ती रहे। इसके बावजूद उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रियता बनाए रखी।

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