क्या देश का उड्डयन सेक्टर राम भरोसे चल रहा है? एविएशन सेक्टर की नियामक एजेंसी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पिछले दिनों एयर इंडिया के बोईंग ड्रीमलाइनर विमान एआइ-171 के हादसाग्रस्त होने के बाद जब मुंबई, दिल्ली समेत कुछ प्रमुख हवाई अड्डों का समग्र तौर पर निरीक्षण किया और उसमें जो बातें निकलर सामने आई हैं, उससे तो ऐसा ही लगता है।
मंगलवार को विमानन नियामक ने बताया कि यात्री विमानों में बार-बार एक ही तरह की खराबी आई है, लेकिन उसे नजरअंदाज किया जाता है। विमानों के रखरखाव को लेकर सरकारी नियमों की अनदेखी की जाती है, एयरक्राफ्ट में रबी की रिपोर्ट (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर द्वारा दर्ज की गई जानकारी) को लागबुक में दर्ज नहीं कराया जाता, इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाले जीवन रक्षक पेटिका भी अपने यथास्थान पर नहीं होती तो कहीं ग्राउंड हैंडलिग उपकरण जैसे कि बैगेज ट्राली अनुपयोगी पाए गए आदि-आदि।
एयरपोर्ट के आसपास काफी निर्माण हो रहे हैं लेकिन उनका कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया। हालांकि नियमों के मुताबिक एक निश्चित अंतराल पर ऐसा किया जाना चाहिए। यह विमानों की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है।इस तरह की दर्जनों खामियों का राजफाश डीजीसीए ने किया है। इसने न सिर्फ भारत के नागरिक उड्डयन सेक्टर की कंपनियों की कलई खोल दी है बल्कि समूचे सेक्टर की निगरानी की मौजूदा व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है।
अगर डीजीसीए ने अहमदाबाद-लंदन उड़ान हादसे के बाद यह निरीक्षण नहीं किया होता तो सब कुछ ऐसे ही चल रहा होता। वैसे यह भी अजीब बात है कि डीजीसीए ने उन विमान कंपनियों या हवाई अड्डे के संचालन का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के नाम नहीं बताए हैं। साफ तौर पर यह भी नहीं बताया गया है कि किस हवाई अड्डे पर किस तरह की खामिया पाई गई हैं। इससे डीजीसीए की गंभीरता पर भी सवाल उठता है।
डीजीसीए ने कहा-‘ उड़ान संचालन, एयरवर्दीनेस (उड़ान भरने लायक विमान है या नहीं), रैंप सेफ्टी (हवाई अड्डा का वह क्षेत्र जहां विमान पार्क होता है), एयर ट्रैफिक कंट्रोल, कम्यूनिकेशन, नेवीगेशन व सर्विलांस सिस्टम और उड़ाने से पहले की चिकित्सा मूल्यांकन की समीक्षा की गई है। इसमें यह पता चला है कि विमानों में खामियों को दूर करने को लेकर निगरानीतंत्र प्रभावहीन है और उसमें सुधार करने के लिए उठाए गए कदम भी अपर्याप्त होते हैं।’
किसी एयरपोर्ट पर यह पाया गया है कि रनवे पर जो एक सीधी लाइन होती है, वह फींकी पड़ गई है। इसी तरह से किसी एयरलाइन की उड़ानें इसलिए रद की गई कि उसके टायर फटे हुए थे। विमानों के रखरखाव को लेकर कई तरह की खामियों का भी पता चला है।
मुख्य तौर पर यह बात सामने आई है कि डीजीसीए के जो नियम हैं, उसके हिसाब से सुरक्षा से जुड़े मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसमें किसी एयरलाइन के बारे में बताया गया है कि उसने जो सिम्युलेटर उपलब्ध कराया है, वह कंपनी के विमान से मैच नहीं करता। इसका सॉफ्टवेयर भी अपडेटेड नहीं है।
डीजीसीए ने कहा है कि जो भी खामियां मिली हैं, उससे संबंधित कंपनियों को अवगत करा दिया गया है। कंपनियों को कहा गया है कि इन खामियों को सात दिनों के भीतर दूर किया जाए। इस तरह की निगरानी आगे भी जारी रखी जाएगी।