इस्राइल-ईरान युद्ध में अभी तक अमेरिका प्रत्यक्ष तौर पर नहीं कूदा है, लेकिन बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इस बीच, अमेरिका ने अपने सबसे घातक लड़ाकू विमान बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमान को गुआम के एंडरसन एयरबेस पर तैनाती के लिए भेजा है। कहा जा रहा है कि इस बमवर्षक का असली ठिकाना हिंद महासागर में स्थित द्वीप डिएगो गार्सिया एयरबेस है, जहां से अमेरिका ने इराक पर हमले किए थे।रिपोर्ट के मुताबिक, छह बी-2 स्टील्थ बमवर्षक भेजे गए हैं। इनके साथ केसी-135 ईंधन भरने वाले टैंकर विमान भी हैं जो हवा में ही बमवर्षक में ईंधन भरेंगे। बी-2 स्टील्थ बमवर्षक को अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरबेस से भेजना इसलिए अहम है क्योंकि यह 30,000 पाउंड (लगभग14,000 किलोग्राम) के जीबीयू-57 बंकर बस्टर बम को जे जाने में सक्षम है। यह तैनाती सामान्य तैनाती से अलग मानी जा रही है। माना जा रहा है कि ईरान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले फोर्डो परमाणु स्थल को तबाह करने के लिए इसे भेजा गया है। यह परमाणु स्थल जमीन में करीब 90 मीटर नीचे है, जिसे तबाह करने में बी-2 स्टील्थ बमवर्षक ही सक्षम है।डिएगो गार्सिया ब्रिटेन का द्वीप है जिसे अमेरिका लीज पर इस्तेमाल करता है। हिंद महासागर में होने की वजह से यहां से पश्चिम एशिया तक पहुंचने के लिए अमेरिका को किसी दूसरे देश के हवाईक्षेत्र से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 1991 के खाड़ी युद्ध और 2001 के अफगानिस्तान ऑपरेशन में भी यहीं से अमेरिकी विमानों हमले किए थे। अगर बी-2 बमवर्षक को यहां तैनात किया जाता है तो इसका मतलब होगा कि ईरान पर अमेरिका हमला जल्द शुरू होने वाला है। ट्रंप प्रशासन के करीबी सूत्रों का कहना है कि अगर ईरान ने आगे इस्राइल के नागरिक इलाकों पर हमला किया तो हमला तय है।
इस बीच, ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में अमेरिकी जहाजों पर हमले की चेतवानी दी है। हूती विद्रोहियों ने चेताया है कि अगर अमेरिका इस्राइल के पक्ष में ईरान के साथ युद्ध में शामिल हुआ तो वह लाल सागर से गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों पर हमले करेगा।