स्वस्थ्य जीवन के लिए नियमित योग पर जोर दिया जाता है, लेकिन बीते 10 साल में सिर्फ एक तिहाई लोगों ने ही योग दिवस में हिस्सा लिया। यानी 2014 से 2024 के बीच तीन में से दो भारतीय अब भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से अछूते हैं। यह खुलासा एक सरकारी सर्वे में हुआ, जिसे शनिवार को केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने जारी किया है। सर्वे में सामने आया है कि बीते दस वर्षों में सिर्फ 33.4% लोगों ने ही किसी योग दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है जबकि 66.6% इससे दूर रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में 30 हजार से भी ज्यादा लोगों पर आधारित इस सर्वे में पता चला कि सरकार जिस कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) को हर साल प्रचारित करती है, उसे जानने वालों की संख्या भी कम है। सिर्फ 39.3% लोग इस प्रोटोकॉल से परिचित हैं, बाकी 60% इससे अनजान हैं। शहरी लोगों में जागरूकता थोड़ी ज़्यादा (42.9%) है, लेकिन ग्रामीण भारत (37.4%) बहुत पीछे नहीं है। 18-24 साल के युवाओं में कॉमन योग प्रोटोकॉल की जानकारी सबसे कम (9.5%) रही, जबकि 41-64 वर्ष के आयुवर्ग में जागरूकता और अभ्यास दोनों अधिक थे। पुरुष और महिलाएं लगभग बराबर स्तर पर हैं।सर्वे में जब लोगों से नियमित योग के बारे में पूछा गया तब सिर्फ 11.2% लोगों ने नियमित रूप से योग करने की जानकारी दी जबकि 13.4% लोगों ने कभी-कभार योगासन लगाने की बात को स्वीकारा। चौंकाने वाली बात यह है कि 75.5% भारतीय योग से अब भी दूर हैं। रोजाना योग करने वालों में सर्वाधिक 12.6% शहरी लोग हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या बेहद कम है। सर्वे के अनुसार, जिन लोगों ने योग को अपनी जीवनशैली में शामिल किया है उन्हें इसका काफी लाभ भी मिला है। योग अपनाने वाले लोगों में से 24.6% ने अपनी फिटनेस में सुधार पाया, लेकिन सिर्फ 16.9% ने माना कि योग से उनका तनाव कम हुआ है।