Tuesday, July 1, 2025

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दाने-दाने को मोहताज पाकिस्तान, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट से हुआ कड़वी हकीकत का खुलासा

पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था और बढ़ती गरीबी को लेकर एक बार फिर दुनिया के सामने सच्चाई आई है। वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट ‘पावर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पेरिटी’ ने पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और भारत की प्रगति की स्पष्ट तस्वीर पेश की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने बीते एक दशक में 26.9 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। 2011-12 में जहां भारत की 27.1% आबादी गरीबी में जी रही थी, वहीं 2022-23 तक यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 5.3% रह गया है। आज भारत में महज़ 7.5 करोड़ लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं।

वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान की हालत और भी चिंताजनक है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि 2017-18 में पाकिस्तान में 4.9% लोग अत्यंत गरीबी में थे, लेकिन 2020-21 तक यह आंकड़ा बढ़कर 16.5% हो गया है। यानी हर छठा पाकिस्तानी आज अत्यंत गरीबी में जी रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी की नई परिभाषा भी तय की गई है। अब अत्यंत गरीबी की रेखा 2.15 डॉलर से बढ़ाकर 3 डॉलर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति मानी गई है, जिससे यह तस्वीर और स्पष्ट हो गई है कि पाकिस्तान के हालात किस हद तक बिगड़ चुके हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान लगातार IMF और वर्ल्ड बैंक से कर्ज लेता रहा है, लेकिन उस फंड का इस्तेमाल विकास कार्यों की बजाय सेना और कट्टरपंथी नेटवर्क को मजबूत करने में हुआ है। नतीजा ये है कि देश की आम जनता भुखमरी, महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रही है।

जहां एक ओर भारत अपने सामाजिक और आर्थिक सुधारों के ज़रिए गरीबी को मात दे रहा है, वहीं पाकिस्तान आर्थिक कुप्रबंधन और गलत प्राथमिकताओं की वजह से कर्ज में डूबता जा रहा है।

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