ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चल रहे तनाव के बीच अमेरिका का बड़ा दावा सामने आया है। इसके तहत कहा गया है कि अमेरिका को नई खुफिया जानकारी मिली है जिससे संकेत मिलते हैं कि इस्राइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य हमले की तैयारी कर रहा है। यह जानकारी अमेरिका की एक न्यूज चैनल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दी है।
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, इस्राइल ने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है, लेकिन हाल के महीनों में हमले की संभावना काफी बढ़ गई है। तनाव को लेकर अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस्राइल का अगला कदम इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका और ईरान के बीच चल रही परमाणु वार्ताएं सफल होती हैं या नहीं।
सूत्रों की माने तो अगर ईरान के साथ अमेरिकी बातचीत उसके यूरेनियम संवर्धन को पूरी तरह नहीं रोक पाती है तो इस्राइल के हमले की संभावना बहुत ज्यादा है। साथ ही अमेरिकी आकलन इस्राइल की गुप्त बातचीत को इंटरसेप्ट करने और सैन्य गतिविधियों की निगरानी पर आधारित है। इसमें देखा गया है कि इस्राइल ने हवाई बमों को नई जगहों पर तैनात किया है और हाल ही में एक बड़ा एयर एक्सरसाइज भी पूरा किया है। हालांकि दूसरी ओर कुछ अधिकारियों का यह भी मानना है कि इस्राइल यह सब केवल ईरान पर राजनयिक दबाव बनाने के लिए कर रहा है और अभी हमले का फैसला नहीं हुआ है।
रिपोर्ट की माने तो अगर वार्ता असफल होती है और इस्राइल हमला करता है तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदा कूटनीतिक नीति से अलग कदम होगा, क्योंकि ट्रंप के हाल ही में किए गए मीडिल ईस्ट के दौरे से पता चलता है कि ट्रंप मीडिल ईस्ट में तनाव और युद्ध को टालना चाहते हैं, खासकर 2023 में गाजा युद्ध के बाद।
गौरतलब है कि परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव के बीच बीते मार्च में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को एक पत्र भेजा था जिसमें 60 दिन के भीतर समझौते की समय-सीमा तय की गई थी। हालांकि वह समय सीमा अब बीत चुकी है और बातचीत को पांच हफ्ते से ज्यादा हो चुके हैं।
लगातार हो रहे बातचीत को लेकर एक वरिष्ठ पश्चिमी राजनयिक ने बताया कि ट्रंप ने हाल की एक बैठक में संकेत दिया है कि अगर कुछ हफ्तों में बातचीत सफल नहीं होती, तो वे सैन्य विकल्प पर विचार कर सकते हैं। इधर, इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी दबाव है कि वे अमेरिका-ईरान के किसी भी कमजोर समझौते को रोकें, लेकिन साथ ही अमेरिका के साथ रणनीतिक रिश्तों को भी खराब न करें।