इस्राइल और हमास के बीच काहिरा में चल रही शांतिवार्ता प्रक्रिया को लेकर उठ रहे संकट के संदर्भ में नेतन्याहू के बयान बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनका इस बातचीत को लेकर व्यक्त किया गया स्पष्टीकरण सुझाव देता है कि वे हमास की मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं, जो शायद इस्राइली स्टांड पर सबसे मुख्य चुनौती है।
हमास की मांगों में गाजा में युद्ध की तत्काल समाप्ति और हमास के सदस्यों को छोड़ने की मांग शामिल हैं, जो इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कठिनाइयों का सामना कराती हैं।
नेतन्याहू का इस्राइल की जेलों से हमास समर्थकों को रिहा करने और यरूशलम में यहूदियों के धार्मिक स्थल को लेकर मांग को अस्वीकार करना भी मामले को और गहरा बना देता है।
इस्राइल और हमास के बीच किए गए शांतिवार्ता समझौतों की बातचीत से आशा है कि क्षेत्र में स्थिरता की स्थिति में सुधार आ सके।